ब्रेन स्ट्रोक एक ऐसी आकस्मिक और गंभीर मेडिकल इमरजेंसी है जिसमें मरीज को तत्काल उपचार की जरूरत होती है अन्यथा यह बहुत नुकसानदेह साबित हो सकती है। क्यों होती है यह समस्या और इससे कैसे करें बचाव जानने के लिए पढ़ें यह लेख। 

क्या है मर्जः सही ढंग से काम करने के लिए हमारे दिमाग को हमेशा पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की जरूरत होती है और ब्लड सर्कुलेशन के जरिए ऑक्सीजन मस्तिष्क तक पहुंचता है। उसकी रक्तवाहिका नलियों में ब्लड क्लॉटिंग या उनके फटने की वजह से ब्रेन की कोशिकाओं को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता और वे तेज़ी से नष्ट होने लगती हैं। इसी शारीरिक अवस्था को ब्रेन स्ट्रोक कहा जाता है। ब्रेन स्ट्रोक मुख्यतः दो तरह का होता है, इस्केमिक और हेमरैजिक स्ट्रोक। 

कैसे करें पहचानः ब्रेन अटैक के प्रमुख लक्षणों को पहचान कर लोगों को इसके प्रति जागरूक बनाने के लिए विशेषज्ञों ने एक सरल फॉर्मूला तैयार किया है, जिसे फास्ट नाम दिया गया है। इसका मतलब है- एफः  फेस में टेढ़ापन, एः आर्म्स में कमजोरी, एसः स्पीच में दिक्कत, टीः टाइम की कीमत पहचानते हुए स्ट्रोक से प्रभावित व्यक्ति को हॉस्पिटल पहुंचाने में जरा भी देर न करें। लगभग 60 प्रतिशत ब्रेन स्ट्रोक के मामलों में ये प्रमुख लक्षण दिखाई देते हैं। इसके अलावा ऐसे मरीज़ों में कुछ अन्य लक्षण भी नज़र आते हैं, जो इस प्रकार हैंः आंखों के आगे अंधेरा छाना, हर चीज दो-दो दिखाई देना, शारीरिक संतुलन बिगड़ना, कमजोरी महसूस होना, शरीर का कोई एक हिस्सा सुन्न पड़ जाना आदि। ये लक्षण ज्यादा खतरनाक साबित होते हैं क्योंकि अक्सर लोग इन्हें मामूली कमजोरी समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं और हॉस्पिटल पहुंचने में देर हो जाती है। इसलिए अगर इनमें से कोई भी लक्षण नजर आए तो बिना देर किए तत्काल मरीज को हॉस्पिटल ले जाना जरूरी होता है। 

संभव है बचावः इससे बचने के लिए स्वस्थ संतुलित खानपान और नियमित एक्सरसाइज करना चाहिए। शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखना बेहद जरूरी है क्योंकि बैड कोलेस्ट्रॉल के साथ मस्तिष्क की रक्तवाहिका नलिकाओं को भी संकरा बनाने का काम करता है। इससे केवल हार्ट अटैक ही नहीं, बल्कि ब्रेन स्ट्रोक का भी खतरा बढ़ जाता है। साल में एक बार हेल्थ चेकअप अवश्य कराना चाहिए। डायबिटीज के मरीजों को खास सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि उनके शरीर में रक्तवाहिका नलिकाओं के सिकुडने की प्रवृत्ति होती है, जो आगे चलकर ब्रेन को भी प्रभावित कर सकती है।