हमारी धरती की अंदरूनी परतें काफी ऐक्टिव हैं लेकिन हाल ही में एक स्टडी में इनमें से एक परत में कुछ अजीब होता पाया गया है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने पाया है कि धरती की लोहे से बनी कोर एक तरफ से ज्यादा बढ़ रही है। इंडोनेशिया के बंदा सागर के नीचे यह हलचल पाई गई है। पिघले हुए लोहे से क्रिस्टल बनने की वजह से यह बदलाव हो रहा है लेकिन यह एक तरफ ज्यादा हो रहा है, और दूसरी तरफ, ब्राजील के नीचे, कम।
बदल रही है धरती की कोरः रिसर्चर्स का मानना है कि धरती के चुबंकीय क्षेत्र के कारण ऐसा हो सकता है। धरती की कोर लोहे से बनी है जिसके बाहर तरल बाहरी कोर है और फिर चट्टानी मैंटल। क्रिस्टल बनते लोहे से निकलने वाली गर्मी और चट्टान बाहर आती है और ठंडा मटीरियल नीचे जाता है। इससे मैग्नेटिक फील्ड बनती है। अंदर की कोर से ज्यादा गर्मी पूर्व से पश्चिम की दिशा में निकलने से, बाहरी कोर भी पूर्व की ओर बढ़ती है लेकिन वैज्ञानिकों को अभी यह नहीं पता है कि इससे धरती के चुंबकीय क्षेत्र पर क्या असर पड़ेगा।
बढ़ रहा है दक्षिण अटलांटिक अनोमली क्षेत्रः दूसरी ओर पहले यह पाया जा चुका है कि धरती की मैग्नेटिक फील्ड दक्षिण अमेरिका और दक्षिण अटलांटिक महासागर के बीच कमजोर हो जाती है। इस इलाके को दक्षिण अटलांटिक अनोमली कहते हैं। चिंता की बात यह है कि यह क्षेत्र फैलता जा रहा है और पश्चिम की ओर बढ़ रहा है। माना जा रहा है कि आने वाले पांच साल में यह 2019 की तुलना में 10 प्रतिशत ज्यादा फैल चुका होगा।
चुबंकीय क्षेत्र में कमीः पिछले कुछ सालों से विशेषज्ञों के रेडार पर चुंबकीय क्षेत्र में कमी आई थी। पिछले 200 सालों में चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता में 9 प्रतिशत की कमी आई है। इस बीच अफ्रीका और दक्षिण अमरीका के बीच काफी बड़े हिस्से में हाल ही में चुंबकीय क्षेत्र में ज्यादा कमी आई है। वैज्ञानिकों ने कहा कि ध्रुवों में बदलाव अचानक से नहीं हो जाता है और यह धीरे-धीरे होता है। यह बदलाव हरेक 2,50,000 साल में होता है।