झांसी उत्तर प्रदेश राज्य के दक्षिण में बेतवा नदी के तट पर स्थित है। झांसी आज उस स्थान के रूप में जाना जाता है, जहां रानी लक्ष्मी बाई, 'झांसी की रानी' रहती थीं और राज्य करती थीं, जिनकी वीरता की कहानीयां आज भी झांसी की गलियों में गूंजती है। झांसी इंडियन हिस्ट्री के सबसे समृद्ध और गोरवपूर्ण शहरों में से एक है, जो इसे इतिहास के शौकीन और पर्यटकों के घूमने के लिए भारत की सबसे अच्छी जगहें में से एक है। झांसी शहर को अपना नाम राजा बीर सिंह देव द्वारा निर्मित झांसी किले से मिला है, जिसे पहले बलवंत नगर के नाम से जाना जाता था। जिस पर पहले चंदेला राजवंशों की सत्ता थी। झांसी का इतिहास 18वीं शताब्दी का है। झांसी शहर मुख्य रूप से अपने झांसी के किला के लिए फेमस है।
1842 में राजा गंगाधर राव ने मणिकर्णिका से शादी की जिसके बाद मणिकर्णिका को रानी लक्ष्मी बाई के नाम से जाना गया। रानी लक्ष्मी बाई ने राजा गंगाधर राव का देहांत हो जाने के बाद 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ सेना का नेतृत्व किया और 1858 में भारतीय स्वतंत्रता के लिए लड़ते हुए अपने जीवन का बलिदान कर दिया। जिसके बाद 1861 में ब्रिटिश सरकार ने झांसी का किला और झांसी शहर को जियाजीराव सिंधिया को दे दिया था। झांसी घूमने के लिए अक्तूबर से मार्च तक का टाइम बेस्ट टाइम माना जाता है। क्योंकि झांसी शहर घूमने के लिए यह मौसम शीतल और अनुकूल होता है।
झांसी में घूमने की सबसे अच्छी जगहें :
झांसी फोर्ट : झांसी का किला बागिरा की चोटी पर स्थित है, जिसका निर्माण 17वीं शताब्दी में राजा बीर सिंह देव द्वारा करवाया गया था। झांसी फोर्ट झांसी के प्रमुख पर्यटक स्थल में से एक है, जो टूरिस्टों और हिस्ट्री लवर्स के घूमने के लिए झांसी की सबसे अच्छी जगहें में से एक है। स्वतंत्रता के पहले सन 1857 में ईस्ट इंडिया कंपनी से लड़ी गई लड़ाई में इस किले एक महत्वपूर्ण हिस्सा नष्ट हो गया था। लेकिन उसके बावजूद भी इस किले के अंदर भगवान और गणेश को समर्पित मंदिर और एक म्यूजियम स्थित है, जो चंदेला वंश के अवशेषों को प्रदर्शित करता है।
झांसी म्यूजियम : झांसी म्यूजियम भारत के सबसे प्रमुख म्यूजियमो में से एक है, जिसे राजकीय संग्रहालय भी कहा जाता है। रानी लक्ष्मी बाई को समर्पित यह संग्रहालय न केवल झांसी के इतिहास को दर्शाता है, बल्कि उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र पर भी प्रकाश डालता है।
रानी महल झांसी : रानी महल झांसी का शाही महल है, जिसका निर्माण नेवलकर परिवार के रघुनाथ दिवतीय द्वारा किया गया था। रानी महल महारानी लक्ष्मी बाई का निवास स्थान था, इसी कारण यह स्थान झांसी के आकर्षण स्थल में से एक बना हुआ है। दुर्भाग्य से अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के दौरान रानी पैलेस का भी एक बड़ा हिस्सा नष्ट हो गया था और शेष हिस्सों को अब एक संग्रहालय में बदल दिया गया है, जो लक्ष्मीबाई के जीवन और कलाकृतियों से समृद्ध है।
राजा गंगाधर राव की छतरी : राजा गंगाधर राव की छतरी झांसी का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है, जो झांसी में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहें में से एक है। राजा गंगाधर राव की छतरी का निर्माण महारानी लक्ष्मीबाई द्वारा अपने पति और झांसी के राजा गंगाधर राव के निधन के बाद, उनकी याद और सम्मान में करवाया था, जो आज भी झांसी की सांस्कृतिक विरासत रूप में खड़ा है।
सेंट जूड चर्च : झांसी के छावनी क्षेत्र में सेंट जूड् चर्च झांसी के आकर्षक स्थल में से एक है। यह चर्च सेंट जूड थाडस के लिए समर्पित है, जिसे फ्रांसिस जेवियर फेनेच ने बनवाया था। सेंट जूड चर्च पर्यटकों और कैथोलिक समुदाय के बीच लोकप्रिय चर्चों में से एक है। सेंट जूड चर्च की वास्तुकला भी देखने योग्य है, जो उत्कृष्ट वास्तुकला का प्रतीक मानी जाती है।
करगुवां जैन मंदिर : करगुवां जैन मंदिर जैनों का प्रमुख तीर्थ स्थल और झांसी के आकर्षक स्थल में से एक है। यह मंदिर लगभग 700 साल पुराना माना जाता है, जो जैनों के धर्म प्रचारक और 23 वें तीर्थंकर पाश्र्वनाथ को समर्पित है। यह मंदिर दिगंबर जैनों के लिए उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, जहां प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से जैन श्रद्धालु आते है।
महालक्ष्मी मंदिर : झांसी शहर की प्रसिद्ध ताल झील की किनारे पर स्थित महालक्ष्मी मंदिर झांसी के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है। महालक्ष्मी मंदिर धन और सौभाग्य की देवी लक्ष्मी जी को समर्पित है, जो स्थानीय लोगों के साथ-साथ देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। यह मंदिर सुंदर वास्तुकला के साथ हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों और जटिल नक्काशी से सुशोभित है जो निश्चित ही झांसी के आकर्षक स्थल में से एक है।
बरुआ सागर : बरुआ सागर झांसी में घूमने के लिए एक और प्रमुख जगह है, जो प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक आकर्षणों से परिपूर्ण है। झांसी जिले में स्थित बरुआ सागर, बुंदेलखंड क्षेत्र से संबंधित एक मामूली शहर है। यह जगह एक मनोरम झील के अलावा, किलों और मंदिरों के कई खंडहरों का घर है, जो अतीत के अवशेषों को प्रदर्शित करते है।
हर्बल गार्डन : टाइगर प्रॉल के रूप में लोकप्रिय हर्बल गार्डन झांसी में घूमने के लिए एक और बेस्ट जगह है। हर्बल गार्डन का नाम बुंदेलखंड में पाए जाने वाले सफेद बाघों के नाम पर है। प्राकृतिक सुंदरता भरपूर यह गार्डन औषधीय पौधों की विभिन्न प्रजातियों का घर है, जो इसे बाकी अन्य गार्डनों से अलग बनाती है। यह गार्डन न केवल औषधीय जड़ी बूटियों और पौधों की 20,000 से अधिक प्रजातियों का घर है, बल्कि पुनर्नवीनीकरण सैन्य स्क्रैप से बनाई गई कलाकृति भी प्रदर्शित करता है। पर्यटकों के साथ-साथ स्थानीय लोगों के लिए भी यह गार्डन आराम तथा ध्यान करने के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
कैसे पहुंचें :
वायु मार्ग : झांसी का निकटतम एयरपोर्ट ग्वालियर एयरपोर्ट है, जो झांसी से लगभग 100 किलोमीटर की डिस्टेंस पर स्थित है। यह एयरपोर्ट भोपाल, आगरा, मुंबई और दिल्ली, जयपुर जैसे प्रमुख शहरों से नियमित उड़ानों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। ग्वालियर एयरपोर्ट पहुंचने के बाद झांसी के लिए आप बस या टेक्सी से ट्रेवल कर सकते है।
रेल मार्ग : ट्रेन से ट्रेवल करके झांसी जाना काफी आसान और सुविधाजनक है, क्योंकि झांसी में अपना खुद का रेलवे जंक्शन मौजूद है, जो रेग्युलर ट्रेनों से भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग : झांसी शहर सड़क मार्ग के माध्यम से पहुंचना बहुत ही आसान है। झांसी जाने के लिए कोई भी राज्य परिवहन की बसे या टेक्सी की सुविधा ले सकते हैं।