भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)के उपाध्यक्ष तथा मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव और विधायक जयंत मल्लवबरुवा ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में असम में मुसलमानोंकी संख्या तीन गुना बढ़ी है, जो राष्ट्रीय जनसंख्या वृद्धि दर से भी अधिक है। अगर मुसलमानों की संख्या इसी तरह बढ़ती रही तो 2037-38 तक स्थानीय लोग अल्पसंख्यक हो जाएंगे। प्रदेश भाजपा मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में जयंत ने जनगणना तथा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस)के तथ्यों का हवाला देते हुए कहा कि कई राज्यों में मुसलमानों की संख्या में कमी आई है, जबकि असम में इस समुदाय की अप्रत्याशित रूप से जनसंख्या बढ़ी है। उन्होंने कहा कि 1991-2001 जनगणना के अनुसार हिंदू समुदाय की जनसंख्या वृद्धि दर 14.9 प्रतिशत थी, वहीं मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या वृद्धि दर 29.3 प्रतिशत थी। वहीं दूसरी ओर 2001-2011 जनगणना के अनुसार हिंदुओं की जनसंख्य वृद्धि दर 10.9 थी और मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या वृद्धि दर 29.6 थी। उन्होंने कहा कि 1991 से 2001 के बीच हिंदुओं की अपेक्षा मुस्लिमों की जनसंख्या दर दो गुना बढ़ी और 2001 से 2011 के बीच अल्पसंख्यक समुदाय की तीन गुना जनसंख्या बढ़ी है। भाजपा नेता कहा कि वर्ष 1971 के जनगणना के अनुसार हिंदुओं की जनसंख्या 72.51 प्रतिशत, मुस्लिमों की संख्या 24.56 प्रतिशत थी,जबकि 2011 के अनुसार असम में हिंदुओं की जनसंख्या 61.46 प्रतिशत और मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या बढ़कर 34.22 प्रतिशत हो गई है। उन्होंने प्रदेश की जनता को सावधान करते हुए बताया कि अगर अल्पसंख्यक समुदाय की जनसंख्या इसी तरह बढ़ती रही तो आने वालों सालों में असमिया समाज अपने ही राज्य में अल्पसंख्यक हो जाएंगे। एनएफएचएस के तथ्यों का हवाला देते हुए भाजपा नेता ने कहा कि असम के 10 जिले अल्पसंख्यक बहुल जिला बन गया है, जबकि इस समय अन्य जिलों में इसका प्रभाव बढ़ा है। उन्होंने एनएफएचएस के 2005 के सर्वे का उल्लेख करते हुए कहा कि मुसलिम समुदाय की महिलाओं द्वारा संतान जन्म देने की दर हिंदुओं की महिलाओं से अधिक थी। मुस्लिम समुदाय की महिला 2.4 से 3.6 प्रतिशत के हिसाब से संतान को जन्म दी, जबकि हिंदू महिलाओं ने 1.6 से 2 प्रतिशत की दरों से संतान को जन्म दी। उन्होंने कहा कि अप्रत्याशित जनसंख्या बढ़ने के कारण स्थानीय लोग विधानसभा स्तर पर राजनीतिक अधिकार खोते जा रहे हैं। बढ़ती जनसंख्या के कारण असम के मठ, मंदिरों, सत्रों, वनांचल, सरकारी भूमि और असम की कृृषि भूमि को दखल किया गया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री डा.हिमंत विश्व शर्मा ने ऐसे भूमि से संदिग्ध लोगों को हटाने की बात कही थी,जिसके कारण कुछ राजनीतिक दल और ऐसे लोगों के रहनुमा बनने वाली संस्थाओं ने असम का वातावरण खराब करने वाली राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 1901 में अल्पसंख्यक समुदाय की जनसंख्या 0.1 थी,जबकि 2011 में बढ़कर 70.74 प्रतिशत हो गई है। ऐसे में इस समाज को सावधान होने की जरूरत है, कहीं हमारा समाज किसी राजनीति का शिकार तो नहीं हो रहा है।