पर्यावरण और वनमंत्री परिमल शुक्लवैद्य ने दिहिंग पाटकाई वर्षावन को आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय उद्यान के रुप में घोषित किया। वनमंत्री ने उपरोक्त आशय की घोषणा बुधवार को आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में की। यह उद्यान तिनसुकिया तथा डिब्रूगढ़ दो जिलों में फैला हुआ है तथा इसका कुल क्षेत्रफल 234.26 वर्ग किलोमीटर है। इस राष्ट्रीय उद्यान के दो भाग हैं। एक तिनसुकिया जिले के डिगबोई डिवीजन के अंतर्गत ऊपरी दिहिंग संरक्षित वनांचल और दूसरा डिब्रूगढ़ जिले के डिब्रू डिवीजन के अधीन जयपुर वर्षावन। नए राष्ट्रीय उद्यान के प्रशासनिक कामकाज डिगबोई डिवीजन के चराईपुंग रेंज तथा डिब्रूगढ़ डिवीजन के जयपुर रेंज द्वारा संचालित किए जाएंगे। असम-अरुणाचल सीमा पर स्थित इस वनांचल को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा देने का काम विगत वर्ष ही शुरु हो गया था, लेकिन आधिकारिक तौर पर बुधवार से यह राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित किया गया। वनमंत्री परिमल शुक्लवैद्य की ओर से इसकी आधिकारिक घोषणा किए जाने से स्थानीय लोगों तथा वन प्रेमियों में खुशी व्याप्त है। राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित किए जाने से इस अंचल में पर्यटन की संभावनाएं भी बढ़ने की आशा व्यक्त की जा रही है। डिगबोई से मिली जानकरी के अनुसार सरकार द्वारा दिहिंग पाटकाई को अधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय उद्यान घोषित करने पर प्रकृति प्रेमी संगठनों ने खुशी जाहिर की है। तिनसुकिया और डिब्रूगढ़ जिले में फैले इस अभयारण्य को पूर्वी भारत का अमेजन भी कहा जाता है। जैव विविधता से भरे इस अभयारण्य में दिहिंग पाटकाई एलीफेंट रिजर्व का क्षेत्र भी शामिल है। इसके अलावा यह असम का एकमात्र संरक्षित वर्षावन है। सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किए जाने पर प्रकृति प्रेमी राजीव रूद्र तारियांग ने सरकार के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा है कि सरकार को अब इस राष्ट्रीय उद्यान की सुरक्षा को भी ध्यान में रखकर कदम उठाना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि सरकार फॉरेस्ट स्टाफ की संख्या बढ़ाए और उद्यान में नियमित गश्त की व्यवस्था करें ताकि वनज संपदाओं की लूट को रोका जा सके।
दिहिंग पाटकाई वर्षावन को मिला राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा
