डॉ. हिमंत विश्वशर्मा के नेतृत्वाधीन भाजपा सरकार ने 30 दिन पूरा कर लिए हैं। बहुमत के साथ पांच सालों के लिए चुने जाने के बाद मुख्यमंत्री बनकर हिमंत ने एक महीने में ही राज्यवासियों के मन में नई आशा का संचार किया है। मुख्यमंत्री बनने के बाद डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने कुछ खास कदम उठाकर सबकी दृष्टि अपनी ओर खींचा है। मुख्यमंत्री के रूप में दायित्व लेने के बाद ही हिमंत ने अल्फा (आई) की ओर से अपहृत ऑयल के कर्मचारी रितुल सैकिया को सकुशल मुक्त कराके उसके परिजनों के साथ राज्यवासी को भी आश्वस्त कर दिया कि उग्रवादी संगठन के साथ शांतिवार्ता के लिए मार्ग खोलने का प्रयास किया है। अल्फा प्रमुख परेश बरुवा ने भी नई सरकार के प्रति संतोषजनक रुख अपनाया है। इस संदर्भ में संगठन की ओर से घोषित तीन महीनों के संघर्ष विराम उल्लेखनीय है। नई सरकार की ओर से दायित्वभार लेने के बाद राज्य में ड्रग्स के खिलाफ चलाए गए अभियानों के कारण राज्यवासी को बड़ी खुशी हुई है। आने वाली पीढ़ी को ड्रग्स से बचाने का प्रयास निश्चित रूप से सराहनीय है। पिछले एक महीने में सरकार धार्मिक स्थलों की जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने का प्रयास कर रही है। खुद मुख्यमंत्री ने अतिक्रमण वाले कई स्थानों का निरीक्षण किया है। इस संदर्भ में उल्लेखनीय है कि वक्फ बोर्ड की अतिक्रमित भूमि की सुरक्षा के लिए तथा काजीरंगा सहित कुछ अन्य स्थानों में संदेहयुक्त विदेशी नागरिकों द्वारा अतिक्रमित भूमि को मुक्त करने के लिए नई सरकार बराबर कोशिश नहीं कर रही है। असम पुलिस को राजनीतिक प्रभाव से मुक्त करने के लिए नई सरकार प्रयास कर रही है। खुद मुख्यमंत्री ने पुलिस हेडक्वार्टर में यह घोषणा की है और डीजीपी को पूर्ण रूप से कार्य करने की स्वतंत्रता दी है। इसके साथ ही पुलिस विभाग में संस्कार तथा आधुनिकीकरण के लिए आवश्यक व्यवस्था लेने के लिए उन्होंने आवश्यक कदम उठाए हैं। नई सरकार ने पिछले एक महीने में कोयला और गौ सिंडिकेट को खत्म करने के लिए सराहनीय कदम उठाया है और उसे काफी सफलता भी हासिल हुई है। असम आंदोलन के फलस्वरूप राज्य को मिली नुमलीगढ़ रिफाइनरी में नई सरकार ने 26 प्रतिशत तक अपनी भागीदारी बढ़ाई है। इसके फलस्वरूप अब एनआरएल किसी गैर सरकारी कंपनी के हाथों चली जाने की संभावना नहीं रहेगी। दायित्वभार लेने के बाद ही मुख्यमंत्री ने उनके कैबिनेट मंत्रियों को विभिन्न जिलों के अभिभावक मंत्री के रूप में दायित्वभार सौंप दिया है। इसके फलस्वरूप मुख्यमंत्री को विभिन्न जिलों की समस्या और विकास की सूचना आसानी से मिल जाएगी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री अपने कैबिनेट मंत्रियों को बैठे रहने के बदले गतिशील करने में कामयाब हो चुके हैं। मुख्यमंत्री की इन सफलताओं के बावजूद उनकी कुछ दुर्बलताएं भी सामने आई है। पिछले 30 दिनों में हुई कुछ भ्रष्टाचारों की खबर राज्यवासियों के लिए आशाप्रद नहीं है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने 29 लाख रुपए से अधिक व्यय करके राज्य में कुछ पुरस्कारों की घोषणा की है। परंतु अनेक लोगों की राय है कि आर्थिक दुर्दशा के समय राजकोष का धन इस प्रकार खर्च करना सरकार के लिए उचित नहीं है। कोविड महामारी के आतंक के दौरान राज्य में अनेक लोग रोजगारहीन हो गए हैं, जिनके लिए कुछ पैकेज की घोषणा राज्यवासियों के मन में आशा का संचार कर सकती थी। इसके साथ ही मूल्यवृद्धि को रोकने में सरकार को कामयाबी हासिल नहीं हो पाई है। इधर वन्यप्राणी-मानव के संघर्ष के चलते नगांव जिले में 18 हाथियों की मौत हो गई। हालांकि इन हाथियों की मौत का कारण बज्रपात कहा गया है फिर भी राज्यवासी इस पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं। कोविड का आतंक धीरे-धीरे कम होने पर भी राज्य में टीकाकरण सही प्रकार से नहीं हो पा रहा है। मुख्यमंत्री ने अपने करीबी लोगों से कहा है कि वे सिर्फ पांच साल के लिए मुख्यमंत्री बनने नहीं आए हैं, बल्कि वे पंद्रह सालों तक शासन में रहेंगे। इसलिए उनके लिए यह जरूरी होगा कि चुनाव के दौरान उन्होंने राज्यवासियों के सामने जो वादे किए हैं वे सब पूरा करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। माइक्रोफाइनंस के ऋण की माफी, एक लाख बेरोजगारों के लिए नौकरी आदि की घोषणा करने के बाद मुख्यमंत्री कैसे ये वादे निभायेंगे वह अवलोकनीय होगा। इसके साथ ही असम के शिक्षार्थियों का एक शिक्षावर्ष बेकार चले जाने की संभावना है। इस समस्या का समाधान मुख्यमंत्री कैसे करेंगे यह भी अवलोकनीय होगा। अब राज्यवासी सब चुनौतियों का सामना करके देश की पहली पंक्ति के पांच राज्यों में असम का नाम दर्ज करने की ख्वाहिश रखनेवाले मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा कैसे असम को विकसित करेंगे, उसकी अपेक्षा है।
हिमंत सरकार ने तैयार किया पांच वर्षों का रोडमैप
