चीन की वायुसेना ने हाल में ही ईस्टर्न लद्दाख के दूसरी तरफ बड़ी एक्सरसाइज को अंजाम दिया है। इस एक्सरसाइज पर भारतीय सेना ने भी पूरी तरह नजर बनाकर रखी थी। हालांकि, भारतीय सेना भी लद्दाख के इलाके में लगातार एरियल पेट्रोलिंग करती रहती है। न्यूज एजेंसी एएनआई को सूत्रों ने बताया कि चीनी एयरफोर्स के करीब 21-22 फाइटर जेट्स ने उड़ान भरी थी। इसमें जे-11 और जे-16 फाइटर जेट्स शामिल थे। हालांकि ये विमान चीनी सीमा के भीतर ही उड़ान भर रहे थे। यहां कंक्रीट के स्ट्रक्चर्स भी बनाए गए हैं ताकि यहां मौजूद एयरक्राफ्ट्स की संख्या को खुफिया रखा जा सके। सूत्रों ने बताया कि लद्दाख में डिसइंगेजमेंट के बाद से भारतीय वायुसेना की एक्टिविटी भी इस इलाके में बढ़ गई है। चीनी जेट्स ने वहां के होटान, गार गुंसा और काशगर एयरबेस से उड़ान भरी थी। इन एयरबेस को हर तरह के फाइटर जेट्स की उड़ान के लिए हाल ही में अपडेट किया गया है। भारतीय फाइटर जेट्स लगातार इन इलाकों में एक्सरसाइज को अंजाम देते हैं। इनमें हाल ही में भारत आए 24 राफेल विमानों का बेड़ा भी शामिल है, जिनकी वजह से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर हमारी ताकत में इजाफा हुआ है। सूत्रों ने बताया कि चीन ने पैंगॉन्ग से अपनी सेनाएं तो वापस बुला ली हैं, पर एयर डिफेंस सिस्टम नहीं हटाए हैं। ये एयर डिफेंस सिस्टम लॉन्ग रेंज पर एयरक्राफ्ट्स को निशाना बना सकते हैं। इसीलिए अप्रैल-मई में भारत ने अपने फॉरवर्ड एयरबेसों पर सुखोई-30 और मिग-29 भी तैनात किए हैं,जो किसी भी खतरे का जवाब देने में सक्षम हैं। सूत्रों ने बताया कि चीनी विमानों को काफी ऊंचाई वाले इलाकों से उड़ान भरनी पड़ती है। जबकि, भारतीय फाइटर जेट्स मैदानी बेस से उड़ान भरते हैं और बेहद कम वक्त में फॉरवर्ड लोकेशन पर पहुंचने में सक्षम हैं। कई दौर की बातचीत के बाद इसी साल फरवरी में विवादित सीमा के पास कुछ इलाकों से दोनों देश अपनी सेनाएं और सैन्य साजो सामान वापस बुला रहे हैं। दोनों पक्षों ने पहले पैंगोंग त्सो के आसपास अपने सैनिकों को हटाने का फैसला किया, लेकिन पूर्वी लद्दाख में हॉट स्पि्रंग्स, गोगरा और डेपसांग जैसे क्षेत्र अभी संघर्ष की स्थिति से बाहर नहीं निकले हैं। इसे विवाद का खत्म होना नहीं कहा जा सकता। यह आगे एक बार फिर से करवट ले सकता है।
एलएसी पर इस्टर्न लद्दाख के करीब 22 चीनी फाइटर जेट्स ने भरी उड़ान
