गुवाहाटी : आज मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने राज्य के कई महिला बुनकरों से गामोछा, आरनाई व दुमेर की खरीददारी की तथा उन्हें चेक प्रदान किया। मुख्यमंत्री हिमंत विश्वशर्मा ने शुक्रवार को ‘गामोछा’ (तौलिया या दुपट्टा) सहित राज्य के कई पारंपरिक कपड़ों की वस्तुओं के मशीनी (पावरलूम) उत्पादन पर सरकारी प्रतिबंध के बारे में अधिक जागरूकता पर जोर दिया, जिससे कि हथकरघा क्षेत्र जीवित रहने में सक्षम और समृद्ध हो सके। नगर के आमबारी स्थित निदेशालय परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित मुख्यमंत्री ने कहा कि गामोछा असमिया जाति का आन, बान, शान, स्वाभिमान व संस्कृत का प्रतीक है। इसे धारण करना हर किसी के लिए गौरव का प्रतीक है।  वहीं सिल्क नगरी शुवालकुची वस्त्र का तीर्थ स्थल है। उन्होंने कहा कि जहां हथकरघा क्षेत्र विभिन्न मोर्चों से चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसमें वैश्विक महामारी से प्रेरित स्थिति भी शामिल है, मशीनी उद्योग से खतरा सबसे गंभीर है। महिला बुनकरों के लिए एक ‘स्वनिर्भर नारी’ योजना के उद्घाटन अवसर पर शर्मा ने 1985 के भारत सरकार के कानून का उल्लेख किया, जो देश में कई पारंपरिक वस्त्र वस्तुओं के मशीनी उत्पादन को प्रतिबंधित करता है, जिनमें से छह असम से हैं और इसमें ‘गामोछा’ और ‘मेखला-चादर’ शामिल हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिबंध के बावजूद, मशीन से इन वस्तुओं का उत्पादन और अधिकारियों के साथ-साथ जनता द्वारा इसकी खरीद जारी है। हमने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और इससे हमारे हथकरघा क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। उन्होंने हथकरघा विभाग से अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ काम करने और ऐसे दिशानिर्देशों के बारे में जागरूकता पैदा करने तथा इन्हें तोड़ने वालों के खिलाफ दंडात्मक कदम उठाने का आग्रह किया।