राज्य के गैर सरकारी अस्पतालों में कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग ने दर निर्धारित कर दिया। आम लोगों की शिकायत थी कि राज्य के गैर सरकारी अस्पतालों तथा नर्सिंग होमों में भर्ती मरीजों से इलाज के लिए अधिक दर पर धन लिया जा रहा है। हालांकि सरकार की ओर से निर्धारित दर मरीजों के परिजनों के लिए कोई राहत की खबर नहीं लाई है बल्कि परोक्ष रूप से उन्हें अधिक दर चुकाने की अनुमति दे दी है। मालूम हो कि गैर सरकारी अस्पतालों तथा नर्सिंग होमों के लिए असम सरकार की ओर से निर्धारित दर केरल सरकार की     ओर से निर्धारित दर की अपेक्षा काफी अधिक है। इस संदर्भ में सरकार के खिलाफ 19 दिसंबर 2020 को जारी सुप्रीम कोर्ट की राय के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। शुक्रवार को असम में स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के गैर सरकारी अस्पतालों तथा नर्सिंग होमों के लिए सरकारी तौर पर निर्धारित एक दिन का चार्ज निर्धारित कर दिया है। उल्लेखनीय है कि राज्य के गैर सरकारी अस्पतालों तथा नर्सिंग होमों की ओर से मरीजों से पिछले दो महीनों में जिस दर से धन लिया गया था सरकार द्वारा निर्धारित दर कमोबेश वही है जिसके फलस्वरूप मरीजों को राहत मिलने की कोई संभावना नहीं है। सरकार की ओर से निर्धारित दर में बेड का किराया, डॉक्टर-नर्स की फीस, छोटे-मोटे टेस्ट, भोजन, पीपीई किट, मास्क आदि शामिल हैं, परंतु मरीजों को सीटी स्कैन, एचआर सीटी टेस्ट, डीआई डाइमर आदि के लिए अतिरिक्त धन भरना होगा। इसके अलावा बेशकीमती दवाएं जैसे रेमडेसीविर, टोसिलीजुमुवाब आदि उन्हें खुद खरीदना होगी और अगर मरीज को कोविड के अलावा अन्य रोगों की भी शिकायत हो तो उसके लिए अलग दर से धन भरना होगा। उल्लेखनीय है कि कोविड संक्रमण की पहली लहर के दौरान सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अशोक भूषण के नेतृत्व में एक न्यायपीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों को गैर सरकाली अस्पतालों में कोविड मरीजों के इलाज के लिए न्यूनतम दर निर्धारित करने का निर्देश दिया था, परंतु असम सरकार द्वारा निर्धारित दर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार न्यूनतम नहीं माना जा सकता।