गुवाहाटीः आचार्य श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती गोस्वामी प्रभुपाद ऐसे समय में अवतार हुए जिस समय वैष्ण धर्म में झूठ और कई प्रकार के कुसंस्कृृति ने जगह ले ली थी। वैष्ण धर्म के नाम पर झूठे प्रचार-प्रसार से वैष्ण धर्म में विष घोला जा रहा था। श्री प्रभुपाद ने भगवान श्रीकृृष्ण चैतन्य महाप्रभु की सही बातों को प्रचार-प्रसार कर भारत ही नहीं पूरे विश्व में वैष्ण (जनातन)धर्म की निर्मल धारा को प्रवाहित करने का काम किया। मुख्यमंत्री डा.हिमंत विश्वशर्मा ने आज गौड़ीय मिशन, श्री चैतन्य गौड़ीय मठ और श्री गोविंदजी गौड़ीय मठ के तत्वावधान में सोनाराम हाईस्कूल के खेल मैदान में हरे कृृष्ण आंदोलन के जरिए वैष्ण धर्म का अलख जगाने वाले तथा गौड़ीय मिशन के संस्थापक आचार्य श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती गोस्वामी प्रभुपाद के 150 वें जन्मोत्सव पर आयोजित दो दिवसीय विश्व वैष्णव सम्मेलन में उपरोक्त आशय की बातें कहीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रील प्रभुपाद असम के विभिन्न इलाकों में वैष्ण धर्म का प्रचार किए। श्रीमंत शंकर देव और प्रभुपाद ने यहां की घरती पर वैष्ण धर्म में लोगों की आस्था को और मजबूत करने की दिशा काम किए। उन्होंने कहा कि देश में अनेक अध्यात्मिक सुधारक हुए जिनमे श्रील प्रभुपाद भी एक थे। उन्होंने श्रीमंत शंकरदेव का नाम लेते हुए कहा कि श्रील प्रभुपाद और श्रीमंत शंकरदेव ने सनातन धर्म में समाहित कुसंस्कार को दूर करते हुए असम की धरती पर लोगों में आस्था और विश्वास पैदा करने के साथ ही पवित्रता की गांगा बहाने का काम किया। कार्यक्रम में अशोक सिंघल, जयंत मल्ल बरुवा,हिंदीभाषी विकास परिषद के अध्यक्ष जुगल किशोर पांडेय, पार्षद प्रमोद स्वामी, उद्योगपति प्रदीप भड़ेच एवं विभिन्न प्रांतों से आए गौड़ीय मिशन के प्रतिनिधियों के साथ ही बड़ी संख्या में इस मिशन से जुड़े लोगों ने भाग लिया।
श्रील प्रभुपाद ने असम में वैष्णव धर्म को किया मजबूत : मुख्यमंत्री
