गुवाहाटी : गुवाहाटी में तीन दिवसीय प्रवास पर रहे नागपुर गोविज्ञान अनुसंधान केन्द्र देवलापार के प्रमुख एवं भांरतीय गोवंश रक्षण संवर्धन परिषद (विहिप गोरक्षा) केन्द्रीय मंत्री सुनील बालकृष्ण मानसिंहका ने गोवंश के विकास एवं पंचगव्य आयुर्वेद चिकित्सा के संबंध एक बैठक शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय गुवाहाटी में कार्यवाह प्राचार्य प्रोफेसर प्रणव ज्योति बैश्य की अध्यक्षता में हुई। जिसमें प्रोफेसर्स एवं विद्यार्थियों उपस्थित रहे। मानसिंहका ने कहा आयुर्वेद में प्राचीन काल से गाय का दुध, दही, घी, गोमूत्र, गोमय आदि का स्थानट्ठस्थान पर महत्व बताया गया है। इन द्रव्यों को आयुर्वेद में गव्य कहा गया है। पांचों को मिलाकर पंचगव्य कहते है। इन पांचों गव्यों के स्वतंत्र गुणधर्म और उपयोग है। गो विज्ञान अनुसंधान केन्द्र के विशेषज्ञों ने विशेष अध्ययन करके आयुर्वेद के विभिन्न ग्रंथों में स्थान-स्थान पर वर्णित गोमूत्र, गोमय, गो दुग्ध, गोघृत, गोदधि आदि पांच गव्यों के प्रयोग संकलित यह सभी योगों ( दवाईयां) द्वारा उपचार पद्धति को पंचगव्य आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति संबोधित किया गया है। इस चिकित्सा से हजारों रोगी स्वस्थ हो रहे है। इससे किडनी के रोग, पथरी, ब्लडप्रेशर, सोरोयोसिस, रुसी, वात विकार, एसीडिटी, कफ, मधुमेह, पीलिया तथा मानसिक रोगों के साथ असाध्य बीमारियों का उपचार भी संभव है। आयुर्वेद में गाय के दूध को माता के दूध के बाद सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कामधेनु गोमूत्र अर्क पर पांच से फल, धन- धान्य और सब्जियों के माध्यम से धीमे बिष से मानव गो विज्ञान अनुसंधान केन्द्र में पंचगव्य से व गोमूत्र से उपयोगी कीटाणु नाशक और दवाईयां तैयार करने की दिशा में निरंतर अनुसंधान जारी है। मानसिंहका ने कहा कि असम से आयुर्वेद के वैद्य जो पढ़ाई पूरी कर रहे हैं कभी भी ग्रुप में आ सकतें है। सबके रहने खाने का प्रबंध प्रकल्प करेगा। आज पंचगव्य आयुर्वेद चिकित्सा मानव जीवन के लिए वरदान साबित हो रही है। महामहिम राज्यपाल ने गो विज्ञान अनुसंधान केन्द्र देवलापार नागपुर द्वारा किया जा रहा कार्य की सहराना एवं फुलाम गामोछा व प्रतीक चिह्न देकर सम्मान किया। साथ विहिप गोरक्षा केन्द्रीय मंत्री एवं पालक नार्थईस्ट क्षेत्र उमेश चन्द्र पोरवाल, विहिप प्रांत प्रमुख पंचगव्य आयुर्वेद चिकित्सा वैद्य ममता अमित मिश्रा, आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर गौरव त्रिवेदी, गौहाटी गौशाला अध्यक्ष जयप्रकाश गोयनका, वैद्यों के साथ व गौहाटी गौशाला समिति के साथ एवं संगठन के साथ व समाजसेवी गोप्रेमी बंधुओं के साथ भेंट वार्ता हुई व मां कामाख्या माता के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
पंचगव्य आयुर्वेद चिकित्सा मानव जीवन के लिए वरदान : मानसिंहका
