ब्रजराज महापात्रा के पूर्वज राजस्थान के रहने वाले थे। उन्होंने उड़ीसा में जाकर टिगिरिया रियासत की नींव रखी थी। 15 अक्तूबर 1921को जन्में ब्रजराज महापात्रा इस रियासत के आखिरी राजा थे। टिगिरिया रियासत के राजा सुदर्शन महापात्रा के बाद 1943 में ब्रजराज की ताजपोशी की गई थी। उनके राजसी ठाठ में 30 नौकर, शानदार लग्जरी गाडिय़ां, मोटर बाइक और घोड़े शामिल थे। नई गाडिय़ों का खास शौक रखते थे। मार्केट में जब भी कोई नई कार आती थी, तो वो उसे खरीद लेते थे। उनके पास 25 कार और जीपें थीं। 1947 में उनकी रियासत को भारत में मिला दिया गया था। जिसके बाद से उनका वक्त बदल गया। 1960 तक राजा बृजराज अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहते थे, लेकिन दिवालिया होने के बाद उन्हें अपनी संपत्ति बेचनी पड़ी। राजा ब्रजराज ने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के राजकुमार कॉलेज से डिप्लोमा किया था। जवानी में इस राजा को कार चलाने का बड़ा शौक था।
दिलचस्प बात यह है कि राजा ब्रजराज अय्याश जरूर थे, लेकिन उनका जनता से भी खासा लगाव था। बताया जाता है कि आजाद भारत में भी टिगिरिया के लोग ब्रजराज को राजा मानते थे। अक्सर मदद के लिए उनके पास आते थे। प्यार से लोग उन्हें राजा के बजाय दादा कहकर बुलाते थे। आजादी के बाद टिगिरिया रियासत के कुछ लोग राजनीति में चले गए, वहीं ब्रजराज ने इन सबसे दूरी बनाए रखी। अय्याशी और सरकार की सख्ती के चलते राजा ब्रजराज के आर्थिक हालात बेहद खराब हो गए। अपना गुजारा करने के लिए राजा ब्रजराज ने 1960 में 75 हजार रुपए में अपना महल सरकार को बेज दिया था। इसके बाद तो वे पूरी तरह सड़क पर आ गए। आखिरी दिनों में एक झोपड़ी में रहते थे और रिक्शा चलाकर अपना गुजारा करते थे। 95 साल के इस राजा ब्रजराज की मौत झोपड़ी में ही हो गई।