तेजपुर : स्वतंत्र प्रेस एक जीवंत लोकतंत्र की नींव है। 138 करोड़ भारतीयों के कौशल, ताकत और रचनात्मकता दिखाने के लिए मीडिया का अधिक से अधिक इस्तेमाल किया जा सकता है। मीडिया का काम बेजुबानों को जुबान देना है। यह विचार भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी), नई दिल्ली के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी ने राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर तेजपुर विश्वविद्यालय, असम द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डीके भट्टाचार्य, कुलसचिव प्रो. वीरेन दास, वरिष्ठ पत्रकार पीजे बरुवा और पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. अभिजीत बोरा भी उपस्थित रहे। प्रो. द्विवेदी ने कहा कि स्वाधीनता आंदोलन से आजादी के अमृत काल तक की इस यात्रा में अपनी निष्पक्ष सोच और स्वतंत्र विचारधारा से प्रेस ने देश को दिशा देने का काम किया है। लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाते हुए भारत के निर्माण में प्रेस का योगदान सराहनीय है। उन्होंने कहा कि सकारात्मक आलोचना हो या फिर सफलता की कहानियों को उजागर करना, मीडिया भारत की लोकतांत्रिक भावना को लगातार मजबूत कर रहा है। आईआईएमसी के महानिदेशक के अनुसार महत्वपूर्ण मुद्दों पर सामूहिक चेतना पैदा करने से लेकर व्यापक हित में सामाजिक व्यवहार को बदलने में योगदान देने तक, मीडिया ने एक महत्वपूर्ण सहयोगी की भूमिका निभाई है। इससे स्वच्छ भारत और जल संरक्षण जैसे अभियानों को व्यापकता देने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि मीडिया ने यह साबित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है कि एक प्रजातांत्रिक देश में पद और सत्ता के आधार पर इंसान-इंसान में भेद नही किया जा सकता। सभी मनुष्य समान हैं। इस अवसर पर वैश्वीकरण के युग में क्षेत्रीय पत्रकारिता विषय पर एक पैनल डिस्कशन का आयोजन भी किया गया।