असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने सोमवार को विधानसभा में कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का विरोध कर रहे जेल में बंद कार्यकर्ता और विधायक अखिल गोगोई मनोवैज्ञानिक समस्याओं से पीड़ित हैं और भावनात्मक असंतुलन तथा मनोरोग के लिए उनका इलाज चल रहा है। राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब दे रहे डॉ. शर्मा ने गोगोई को विधानसभा सत्र में हिस्सा लेने की इजाजत देने की विपक्षी कांग्रेस की मांग को खारिज कर दिया लेकिन कहा कि सरकार ने किसी के खिलाफ भी कोई नकारात्मक नजरिया नहीं रखा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें (गोगोई को) बताया गया कि उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। वह मनोवैज्ञानिक समस्याओं के लिए उपचार ले रहे हैं। उनका भावनात्मक असंतुलन और मानसिक बीमारी के लिए इलाज चल रहा है। तीन दिवसीय सत्र के पहले दिन 21 मई को आरटीआई कार्यकर्ता से नेता बने गोगोई विशेष एनआईए अदालत से मंजूरी के बाद विधायक के तौर पर शपथ लेने के लिए विधानसभा आए थे। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। सीएम  ने कहा कि वह (गोगोई) उस दिन विधानसभा आए थे। कोविड के नियमों को भूलकर वह सदन में हर किसी सदस्य से मिलने पहुंच गए। यह बीमारी की पूर्व-चेतावनी है। जीएमसीएच (गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल) के चिकित्सकों ने मुझे बताया कि उन्हें बीमारी है। उन्होंने कहा कि मैंने डॉक्टरों से पूछा कि वह स्वस्थ दिख रहे हैं, तो आपने उन्हें अस्पताल में क्यों रखा है? क्या यह उन्हें किसी तरह मदद पहुंचाने की कोशिश है? उन्होंने कहा कि नहीं सर, यह उनकी बीमारी है। गोगोई शुक्रवार को शपथ लेने के तत्काल बाद सभी मंत्रियों, सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायकों की सीट पर गए और उनसे हाथ मिलाकर या हाथ जोड़कर अभिवादन किया।  मुख्यमंत्री ने कांग्रेस विधायक भरत नरह से पूछा कि विस कैसे एक बीमार व्यक्ति को सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने की इजाजत दे सकती है। नरह ने उस दिन विस अध्यक्ष से अनुरोध किया था कि गोगोई को सत्र के अन्य दो दिनों की कार्यवाही में हिस्सा लेने की इजाजत दी जाए। एनआईए ने प्रदेश में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के विरोध में हिंसक प्रदर्शनों में कथित भूमिका को लेकर दिसंबर 2019 में गोगोई को गिरफ्तार किया था। उन्हें पिछले साल जीएमसीएच में कोविड-19 के इलाज के लिए भर्ती कराया गया था और वह तब से अन्य बीमारियों के कारण वहीं हैं। डॉ. शर्मा ने कहा कि सरकार ने किसी को लेकर कोई नकारात्मक रुख नहीं रखा है। सवाल उठाए गए कि अखिल गोगोई को क्यों बस से लाया गया? यह कोविड का समय है और पांच सुरक्षाकर्मी एक कार में आएंगे तो कोरोना नहीं फैलेगा? यह सरकार की जिम्मेदारी है कि उन्हें ज्यादा जगह वाली बस में लाया जाए जिससे कोविड नियमों को बरकरार रखा जा सके। दूसरी ओर मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी पर राइजर दल ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने भी कोविड प्रोटोकॉल तोड़कर माजुली सहित राज्य के अन्य स्थानों पर आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया। माजुली में मुख्यमंत्री ने बच्चों के साथ सार्वजनिक भोजन में भाग लिया था। उल्लेखनीय है कि माजुली में एक कोविड पॉजिटिव रोगी के साथ विभिन्न स्थानों का दौरा भी किया था। क्या इन उदाहरणों को देखते हुए मुख्यमंत्री को भी मानसिक रोगी समझना होगा? अखिल गोगोई के संबंध में मुख्यमंत्री की टिप्पणी पर राइजर दल के कार्यकारी अध्यक्ष भास्को डी सैकिया, कवींद्र चेतिया फुकन और जितुल डेका ने मीडिया को एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिए अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। प्रेस विज्ञप्ति में उल्लेख है कि 21 मई को शपथ ग्रहण के दिन अखिल गोगोई ने विधानसभा में अपनी उपस्थिति के लिए आवश्यक व्यवस्था करने का अनुरोध किया था। इस पर विधानसभा के सचिव ने पत्र द्वारा जानकारी दी कि इस संदर्भ में संबंधित अधिकारियों  के साथ चर्चा करने के बाद इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा। इसके बाद 22 मई को मुख्यमंत्री के दायित्व के अंतर्गत चल रहे गृह तथा राजनीतिक विभाग से जारी पत्र में कहा गया चूंकि गोगोई का मामला एनआईए  की अदालत में चल रहा है। इसलिए अदालत का निर्णय ही अंतिम होगा, परंतु मंगलवार को मुख्यमंत्री ने कहा कि कानूनी तौर पर गोगोई के लिए विधानसभा में उपस्थित रहने में कोई बाधा नहीं है। इस संदर्भ में भ्रांति फैल रही है। राइजर दल ने कहा कि अखिल गोगोई की कई बीमारियों का इलाज चल रहा है। बीमारियों का इलाज रोगी के लिए गोपनीय हो सकता है और रोगी को गोपनीयता बरकरार रखने का अधिकार है। राज्य के स्वास्थ्यमंत्री के रूप में काफी समय तक कार्यरत डॉ. हिमंत विश्वशर्मा को इसकी जानकारी अवश्य होनी चाहिए। उन्होंने एक रोगी के रोग को लेकर जिस प्रकार का मजाक बनाया है, वह स्वीकार्य नहीं है। राइजर दल ने सरकार पर यह आरोप लगाया कि सरकार विधानसभा में विधायक अखिल गोगोई की सशक्त और साहसपूर्ण उपस्थिति नहीं चाहती। अलग-अलग बहाने बनाकर उन्हें विधानसभा में भाग लेने से रोकने की कोशिश कर रही है।