ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने दावा किया है कि चीन ने भूटान के 8 किलोमीटर अंदर ग्यालाफुग नाम से गांव बसा लिया है। यहां चीन ने सड़कें, इमारतें और पुलिस स्टेशन और आर्मी बेस तक बना लिया है। इस गांव में पावर प्लांट, गोदाम और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना का ऑफिस भी है। एक रिसर्च जनरल में छपी रिपोर्ट का हवाला देते हुए ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने यह रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन के कब्जे वाले ग्यालाफुग गांव में 100 से ज्यादा लोग और इतनी ही संख्या में याक मौजूद हैं। कंस्ट्रक्शन वर्कर्स का आना-जाना भी यहां लगा रहता है। रिपोर्ट के मुताबिक, ये इलाका भारत के अरुणाचल प्रदेश से लगा हुआ है और चीन अरुणाचल पर भी दावा करता आया है। इसलिए माना जा रहा है कि भूटान की जमीन कब्जाने के पीछे असली निशाना भारत है। ऑस्ट्रेलियन मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ये बात समझ चुका है कि तिब्बत 1 अरब 40 करोड़ की आबादी वाले चीन का ज्यादा विरोध नहीं कर पाएगा। चीनी सैनिकों ने यहां एक बड़ा बैनर टांग दिया है। इस पर लिखा है, ‘शी जिनपिंग पर विश्वास बनाए रखें।’ हाल ही में सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच कुनमिंग शहर में 25 बैठकें हुई हैं। दोनों देश 470 किलोमीटर लंबा बॉर्डर शेयर करते हैं। हालांकि, बॉर्डर के बंटवारे को लेकर भूटान और चीन के तर्क अलग-अलग हैं। इस जमीन पर कब्जा करके चीन 1998 के एग्रीमेंट का उल्लंघन कर रहा है। चीन के इस जमीन के कब्जाने से भूटान के लोगों में निराशा बढ़ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, 1980 में चीन का जो नक्शा था, उसमें ग्यालाफुग को भूटान के अंदर ही दिखाया गया था। भूटान भी मानता है कि चीन जिस जमीन पर अपना दावा ठोक रहा है, वो उनके लिए भी नया है। इससे पहले चीन ने इस जमीन पर कभी दावा नहीं किया था। चीनी मामलों के विशेषज्ञ रॉबर्ट बर्नेट का कहना है कि चीन ये सब एक खास रणनीति के तहत कर रहा है। वह चाहता है कि इन गतिविधियों के कारण भूटान उसका विरोध करना शुरू करे और वह कब्जाई जमीन पर अपना दावा ठोक दे। बर्नेट कहते हैं कि बुद्धिस्ट आबादी वाले भूटान और चीन के कब्जे वाले तिब्बत में बहुत सी चीजें कॉमन हैं। भूटान के चीन के मुकाबले भारत से अच्छे संबंध हैं। भूटान सबसे ज्यादा व्यापार भी भारत के साथ ही करता है। इसके उलटे चीन की भूटान में एंबेसी तक नहीं है। चीन, भूटान के कुल क्षेत्रफल के 12 प्रति. हिस्से पर अपना दावा जताता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ताकत बढ़ने के साथ चीन की दादागीरी भी बढ़ती जा रही है। इसी तरह चीन साउथ चाइना सी पर भी बहुत सा हिस्सा क्लेम करने लगा है।