तेलंगाना के नालगोंडा जिले में कोरोना संक्रमित एक युवक ने पेड़ पर ही आइसोलेशन वॉर्ड बना लिया है। 18 साल के आदिवासी युवक का कहना है कि वह कोरोना संक्रमित है और आइसोलेट रहने के लिए उसके घर में जगह की कमी है। ऐसे में युवक ने पेड़ पर ही अपना ठिकाना बना लिया है और बीते 12 दिनों से वहीं पर रहा है ताकि परिवार को कोरोना के संक्रमण से बचा सके। युवक ने कहा कि उसके घर में क्वारेंटाइन रहने के लिए अलग से कमरा ही नहीं है। कोठा नंदीकोंडा गांव के रहने वाले रामावथ शिवा सांगररेड्डी जिले में बीए के स्टूडेंट हैं। वह पिछले ही दिनों कोरोना संक्रमण के चलते अपने गांव वापस लौटे थे और इस संकट के दौर में परिवार को मदद के लिए मनरेगा स्कीम में काम कर रहे थे। शिवा ने बताया, 4 मई की शाम को मैं कोरोना पॉजिटिव पाया गया था। डॉक्टरों ने मुझे सलाह दी थी कि होम आइसोलेशन में रहना चाहिए और सावधानी बरतनी होगी। लेकिन मेरा घर काफी छोटा है और आइसोलेशन में रहने के लिए जगह की ही कमी है। मैं इस घर में अपनी बहन और पैरेंट्स के साथ रहता हूं। शिवा ने बताया कि एक रात मैंने घर के बाहर ही गुजारी। इसके बाद मुझे यह आइडिया आया कि मुझे पेड़ पर ही अपना ठिकाना बना लेना चाहिए। शिवा ने अपनी चारपाई पेड़ पर ही रख ली और उससे रस्सियों सा बांध लिया ताकि गिरने न पाए। इस चारपाई पर ही वह बीते कई दिनों से बने रहते हैं और यही आइसोलेशन में उनका ठिकाना है। पेड़ पर अपने ठिकाने को लेकर शिवा ने कहा कि यह मेरे लिए काफी आरामदायक है। मेरे पैरेंट्स नाश्ता, लंच और डिनर पेड़ के पास ही रखी एक कुर्सी पर रख जाते हैं और मैं नीचे आकर खाना खा लेता हूं। शौच, भोजन आदि के अलावा मैं पेड़ पर ही रहता हूं और नीचे नहीं उतरता हूं। कोठा नंदीकोंडा काफी छोटा गांव है और उसकी आबादी 1,000 से भी कम है। गांव में कोरोना मरीजों के लिए कोई आइसोलेशन सेंटर भी नहीं बना है। गांव से 5 किलोमीटर की दूरी पर एक प्राइमरी हेल्थ सेंटर है, लेकिन वहां किसी मरीज को भर्ती करने के लिए कोई सुविधा ही उपलब्ध नहीं है। शिवा ने कहा कि जनजातीय छात्रों के लिए एक हॉस्टल में आइसोलेशन सेंटर बनाए जाने की जानकारी मुझे 13 मई को मिली थी, लेकिन तब तक मैंने खुद पेड़ पर ही आइसोलेशन के 8 दिन गुजार दिए थे। शिवा ने कहा कि कोरोना संक्रमण के डर की वजह से कोई मुझे देखने भी नहीं आ रहा है।