राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) में लाखों संदिग्ध नागरिकों का नाम शामिल हुआ है। खुद एनआरसी प्राधिकरण ने यह आरोप लगाया है। एनआरसी प्राधिकरण ने एनआरसी तथ्यों के परीक्षण में यह विसंगति सामने आने की बात की है। एनआरसी प्राधिकरण के राज्य संयोजक हितेश देव शर्मा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर अंतरिम याचिका में इस तथ्य का खुलासा किया है। एनआरसी के राज्य संयोजक देव शर्मा के इस तथ्य से एनआरसी की समग्र प्रक्रिया पर संदेश उत्पन्न हो रहा है। इस मामले में असम पब्लिक वर्कस, सचेतन नागरिक मंच, असम समेत कई संगठनों ने यह आरोप लगाया था कि एनआरसी में काफी तादात में संदिग्ध नागरिकों का नाम शामिल हुआ है। इन संगठनों ने एनआरसी के तथ्यों में बीस प्रतिशत का पुनरीक्षण करने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। एनआरसी के तथ्य के पुनरीक्षण के लिए अनुमति मांगते हुए एनआरसी के राज्य संयोजक ने बीते आठ मई को सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम याचिका दायर की है। उल्लेखनीय है कि 2020 के 31 अगस्त को एनआरसी की परिवार सूची प्रकाशित हुई थी और तभी विभिन्न पक्षों की ओर से इसमें संदिग्ध नागरिकों का नाम शामिल होने का संदेश व्यक्त किया गया था। तब तत्कालीन एनआरसी प्राधिकरण ने इस आरोप को अस्वीकार किया था। वहीं एनआरसी के पूर्ववर्ती राज्य संयोजक के खिलाफ भाजपा और भाजपा के समर्थित विभिन्न संगठनों ने कई महत्वपूर्ण आरोप लगाए थे। एनआरसी की परिवार सूची के प्रकाशन के परवर्ती दो सालों में देश के महापंजीयक ने अंतिम एनआरसी प्रकाशित नहीं की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम एनआरसी के प्रकाशन के संबंध में किसी तरह का फैसला नहीं सुनाया। हालांकि नए मुख्यमंत्री ने पदभार संभालते ही एनआरसी के पुनरीक्षण की बात उल्लेख की। उन्होंने राज्य के सीमाई जिलों में 20 प्रतिशत व अन्य जिलों में 10 प्रतिशत पुनरीक्षण करने पर जोर दिया। मुख्यमंत्री के इस बयान से पहले बीते 8 मई को एनआरसी के राज्य संयोजक ने सुप्रीम कोर्ट में एनआरसी में व्यापक विसंगति होने की बात उल्लेख करते हुए अंतरिम याचिका दायर की। उनकी ओर से याचिका में उल्लेख किए जाने के मुताबिक परिवार सूची के पुनरीक्षण में ‘नॉ’ लिखने वाली जगह पर ‘यस’ लिखा जा चुका है। करीब 40 प्रतिशत तथ्यों में विसंगतियां दिखाई दे रही है। ऑजिनल इंहेविटेंट शाखा में छमरीया में 64 हजार अवैध नागरिकों का नाम शामिल हुआ है। डीएमआईटी व्यवस्था में 16 लाख के कागजात रद्द किए गए थे, परंतु उनके नाम एनआरसी में शामिल हुए हैं। एनआरसी प्राधिकरण के मुताबिक करीब 40 लाख अवैध नागरिकों का नाम एनआरसी में शामिल हुआ है। दूसरी ओर असम पब्लिक वर्कस के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने एनआरसी के मौजूदा प्राधिकरण की ओर से उठाए गए कदम का स्वागत किया है। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले डेढ़ सालों से जिस बात को लेकर चिल्ला रहा था, वह सच साबित हुआ। सचेतन नागरिक मंच, असम के अध्यक्ष चंदन भट्टाचार्य ने मौजूदा एनआरसी प्राधिकरण की पहल का स्वागत किया है।