वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच सोल्यूशंस ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोविड- 19 के मौजूदा बढ़ते संकट के बीच सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के प्रति जन समर्थन को कुछ धक्का लगा है लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी पार्टी को मतदाताओं का समर्थन आने वाली तिमाहियों और इस मानव संकट के दौरान मजबूत बना रहेगा। कोरोना वायरस संक्रमण की लहर ने देश की स्वास्थ्य सुविधाओं को डुबो दिया है और लगता है कि व्यवस्था घ्वस्त हो गई है। कोरोना वायरस के एक दिन में अब तक के सर्वाधिक 4,12,282 मामले सामने आए हैं और 3,980 लोगों की मौत दर्ज की गई है। एजेंसी ने कहा कि कोराना वायरस संक्रमण के इस दौर के बीच वित्त वर्ष 2021- 22 में भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि कम होकर 9.5 प्रतिशत रह सकती है। फिच का मानना है कि कंटेनमेंट जोन जैसे उपायों से भारत की आर्थिक क्षेत्र में सुधरती स्थिति पर असर होगा लेकिन स्थानीय स्तर पर अलग अलग स्थानों पर लगने वाले प्रतिबंधों से अर्थव्यवस्था पर वास्तविक प्रभाव पिछले साल अप्रैल- जून के प्रभाव के मुकाबले कम ही होगा। पिछले साल अप्रैल- जून के दौरान देश में विभिन्न चरणों में सख्त लॉकडाउन लागू किया गया था। एजेंसी ने कहा है कि उसके ताजा अनुमान में गिरावट का जोखिम बना हुआ है, क्योंकि कोविड- 19 मामलों से लाकडाउन का और विसतार होगा। एजेंसी का कहना है कि कोविड- 19 मामलों के तेजी से बढ़ने से भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियां उजागर हुई हैं। एजेंसी का कहना है कि भारत में दूसरी लहर के लिए व्यापक तौर पर ब्रिटेन में सबसे पहले पहचान किए गए बी.1.1.7 वरिएंट को जिम्मेदार माना जा रहा है जिसकी वजह से पंजाब में मामले तेजी से बढ़े। वहीं दूसरी बड़ी वजह घरेलू स्तर पर बढ़ने वाले वेरिएंट बी.1.617 की रही है जो कि महाराष्ट्र में पैदा हुए और यही वजह है कि महाराष्ट्र पर इसका सबसे ज्यादा प्रभाव रहा है। सरकार की तरफ से अपर्याप्त उपाय, लोगों का स्वास्थ्य दिशानिर्देशों का पालन नहीं करना जैसे सार्वजनिक स्थानों पर मास्क नहीं पहनना और नियम का पालन नहीं करना भी बड़ी वजह रही है कि भारत में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं।