कोरोना की दूसरी लहर के बीच आंध्र प्रदेश से परेशानी बढ़ाने वाली खबर है। यहां वायरस का नया स्ट्रेन मिला है। इसे पी स्ट्रेन नाम दिया गया है। सेंटर फॉर सेल्यूलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के वैज्ञानिकों का दावा है कि भारत में मौजूदा स्ट्रेन के मुकाबले नया वैरिएंट 15 गुना ज्यादा खतरनाक है। इससे संक्रमित होने वाले मरीज 3-4 दिनों में हाइपोक्सिया या डिस्पनिया के शिकार हो जाते हैं। इस स्थिति में सांस मरीज के फेफड़े तक पहुंचना बंद हो जाती है। सही समय पर इलाज और ऑक्सीजन सपोर्ट नहीं मिलने पर मरीज की मौत हो जाती है। भारत में इन दिनों इसी के चलते ज्यादातर मरीजों की मौत हो रही है। द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, यह वायरस आंध्र प्रदेश की राजधानी विशाखापट्टनम समेत दूसरे हिस्सों में फैल रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सबसे पहले इस स्ट्रेन की पहचान आंध्र प्रदेश के कुरनूल में हुई थी। ये आम लोगों के बीच काफी तेजी से फैला है। सबसे चिंता की बात ये है कि यह वैरिएंट अच्छी इम्यूनिटी वाले लोगों को भी चपेट में ले रहा है। इस स्ट्रेन के कारण लोगों के शरीर में साइटोकाइन स्टॉर्म की समस्या आती है। विशाखापट्टनम के डिस्टि्रक्ट कलेक्टर वी विनय चंद ने बताया कि हम अब भी नए स्ट्रेन के बारे में पता लगा रहे हैं। इसके सैंपल एनालिसिस के लिए सीसीएमबी भेजे गए हैं। एक बात तय है कि पिछले साल आई पहली लहर के दौरान हमने जो वैरिएंट देखा था, यह उससे काफी अलग है। वायरस की बढ़ी हुई ताकत की पुष्टि करते हुए डिस्टि्रक्ट कोविड स्पेशल ऑफिसर और आंध्र मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल पी.वी. सुधाकर ने कहा कि हमने देखा है कि नए वैरिएंट का इंक्यूबेशन पीरियड बहुत कम और संक्रमण की रफ्तार बहुत ज्यादा है। पहले वायरस से संक्रमित मरीज को हाइपोक्सिया या डिस्पनिया स्टेज तक पहुंचने में कम से कम एक सप्ताह लगता था। अब मरीज तीन या चार दिनों में ही गंभीर स्थिति में पहुंच रहे हैं। इसीलिए ऑक्सीजन, बेड या आईसीयू बेड की जरूरत बहुत बढ़ गई है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये स्ट्रेन युवाओं और बच्चों पर तेजी से फैल हो रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर समय रहते इसकी चेन को तोड़ा नहीं गया तो कोरोना की ये दूसरी लहर और भी ज्यादा भयावह हो सकती है, क्योंकि ये मौजूदा स्ट्रेन 1617 और 117 से कहीं ज्यादा खतरनाक है।