गुवाहाटीः फैंसीबाजार स्थित श्री महावीर धर्मस्थल में विराजमान परम पूज्या श्रमणी ज्ञानमूर्ति गणिनी आर्यिका गुरु मां विंध्यश्री माताजी ने क्षमावाणी पर्व के उपलक्ष्य पर क्षमा धर्म की महानता का विश्लेषण करते हुए बताया कि जब जागो तभी सवेरा। मानव पर्याय में आकर मनुष्य सब कुछ भूल जाता है। जिनवाणी में तीर्थंकर ने कहा है कि मनुष्य से भूल हो सकती है। संसारिक प्राणियों द्वारा कहीं न कहीं मन वचन कार्य से भूल हो सकती है। जिसके लिए हम क्षमा मांगते हैं। अविवेकपूर्ण व्यवहार के लिए परस्पर एक दूसरे से क्षमा याचना करनी चाहिए। जब तक हमारी कषायों का शमन नहीं होगा तब तक क्षमा भाव नहीं हो सकता है। आज क्षमा में सिर्फ औपचारिकता रह गई है। क्षमा उनसे मांगनी चाहिए जिससे मनमुटाव हो। इसके पूर्व तीर्थंकर देवाधिदेव नेमिनाथ भगवान पर चंवर डुलाने का सौभाग्य महेंद्र सेठी, दिलीप चौधरी,मनोज गगंवाल, मनोज सेठी तथा स्वर्ण कलशाभिषेक करने का सौभाग्य अनिल गोधा,भागचंद, महेंद्र काला प्रमोद पाटनी को और श्रीजी के रत्नत्रय की माला पहनने का सौभाग्य धर्म चंद, ज्ञान चंद विवेक काला को सौभाग्य प्राप्त हुआ। श्रीजी की आरती करने का सौभाग्य झुमरमल पन्नालाल गंगवाल हाथीगोला को प्राप्त हुआ। शांतिधारा करने का सौभाग्य महावीर प्रसाद,ललित, मनीष कुमार छाबड़ा को प्राप्त हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत में श्री दिगंबर जैन पंचायत के मंत्री वीरेंद्र कुमार सरावगी ने पूरे साल का प्रतिवेदन पढ़कर उन सभी कर्मकर्ताओं का अभिनंदन किया जिन्होंने वर्ष भर में अनमोल सहयोग दिया। इस आशय की जानकारी प्रचार प्रसार विभाग द्वारा ओमप्रकाश सेठी व किशोर कुमार जैन ने दी।
अविवेकपूर्ण व्यवहार के लिए क्षमा याचना करनी चाहिए : गुरु मां
