शिलांग : पूरे देश के साथ शिलांग में भी श्रीगणेश चतुर्थी मनाया गया यह उत्सव तीन दिनों तक शिलांग में चला और शुक्रवार को भगवान गणेश की प्रतिमाओं को पोलो इलाके में बहने वाली मुखराह नदी में विसर्जित किया गया। इस बार खास बात यह रही कि नदी प्रदूषित ना हो इस बात का ध्यान रखते हुए आयोजकों ने गणेश पूजन के लिए 121 फिटकिरी से निर्मित भगवान गणेश की प्रतिमाएं महाराष्ट्र से मंगाई गई। मालूम हो की तालाबों और कुएं के पानी को साफ करने के लिए फिटकिरी का इस्तमाल किया जाता है। फिटकिरी डालने से पानी बिलकुल प्रदूषण मुक्त हो जाता है। इसलिए इस बार गणेश पूजा समीती ने खास तौर पर फिटकिरी से निर्मित मूर्तियों को महाराष्ट्र से मंगवाया। प्रशासन एवं सभी भक्तों ने इस कार्य की काफी सराहना की। श्री राजस्थान विश्राम भवन में गायत्री परिवार के द्वारा आयोजित श्री गणेश चतुर्थी के तीन दिवसीय उत्सव के बाद शुक्रवार को दोपहर करीब 1 बजे गुंजायमान जयकारों के साथ श्री गणेश यात्रा शुरू हुई जो शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए उमखराह नदी के विसर्जन घाट पर पहुंची। इस मौकें पर भक्तों द्वारा रंग गुलाल के साथ करीब दो घंटे तक उत्सव मनाते हुए प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। यात्रा परिवार द्वारा आने वाले भक्तों का भावभरा स्वागत एवं सम्मान किया गया। यात्रा मार्ग में जगह-जगह पर जल पान, जूस वगैरह की व्यवस्था की गईं थी। यह आयोजन यात्रा परिवार द्वारा हर वर्ष किया जाता है। भक्तों को तीन दिनों तक अपने अपने घरों में पूजा अर्चना करने के लिए श्री गणेश जी महाराज की प्रतिमा दी जाती है और सभी का एक साथ विसर्जन किया जाता है। इस मौके पर लोगों द्वारा उड़ाए गए रंग गुलाल से ऐसा लग रहा था मानो फागोत्सव चल रहा है। विसर्जन के बाद यात्रा परिवार ने सभी को धन्यवाद दिया।