गुवाहाटीः भारतीय इतिहास संकलन कमेटी असम की ओर से वीर लाचित बरफूकन की 400 वीं जयंती मनाई गई। इस मौके पर कॉटन विश्वविद्यालय का सुडमर्शन प्रेक्षागृह तथा केबीआर प्रेक्षागृह जय आई असम तथा देश प्रेमी गीतों से गूंज उठा। कार्यक्रम का शुभारंभ वीर लाचित की प्रतिमा के पास दीप प्रज्जवलन तथा फोटो पर माल्यापर्ण के साथ हुआ। मौके पर वीर लाचित के गौरव गाथा पर आधारित पुस्तक का लोकार्पण किया गया। साथ ही विभिन्न विद्यालयो से आए विद्यार्थियों ने अपनी प्रस्तुति से पूरे प्रेक्षागृह को सराबोर कर दिया। साथ ही युवाओं में काफी जोश व उत्साह दिखा। इस मौके पर विद्यार्थियों ने वीर लाचित नामक नाटक का मंचन किया, जिसमें वीर लाचित का अभिनय कर रहे कलाकार द्वारा अपनी प्रस्तुति के दौरान देश से बड़ा मामा नहीं होता डॉयलॉग के साथ अपने मामा का सिर धड़ से अलग करने का दृश्य सभी को झकझोर दिया। इसके साथ ही देश रंगीला- रंगीला के साथ अन्य देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति दी,साथ ही तिरंगा झंडा लहराया, जिससे दर्शक दीर्घा में बैठे सभी दर्शकों में देश के प्रति नया जोश देखा गया। इसके साथ ही कई वक्ताओं ने लाचित द्वारा मुगल के खिलाफ उठाए गए साहसिक कदम तथा सराईघाट के युद्ध को शब्दों द्वारा रेखांकित किया। साथ ही कहा कि लाचित का जन्म भले ही असम में हुआ था परंतु वे अपने पराक्रम के जरिए देश ही नहीं विदेशों में भी जाने जाते हैं। साथ ही बताया कि वीर लाचित ने असम को मुगलों के चंगुल से बचाने के लिए साहसिक व कुशल रणनीतिक कदम उठाते हुए इस लड़ाई को लड़ी तथा इस युद्ध में मुगलों का छक्का छुड़ा दिया, इसके साथ उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया।
वीर लाचित की 400वीं जयंती पर युवाओं में दिखा उत्साह
