शिलांग : असम-मेघालय सीमा विवादों को हल करने के लिए रविवार को दूसरे दौर की वार्ता गुवाहाटी में शुरू हुई इसके ठीक एक दिन बाद सोमवार गारो खासी और जयंतिया हिल्स के विभिन्न संगठनों ने जिसमे एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक एम्पावरमेंट और (एफकेजीजेपी)जैसे संगठनों ने शहर के बारीक पॉइंट में धरना आरम्भ किया। संगठनों ने मेघालय और असम सरकारों के बीच पहले चरण में 12 सेक्टरों में से 6 में सीमा विवाद को हल करने के लिए 29 जनवरी को हस्ताक्षर किए गए समझौता ज्ञापन का विरोध किया है। इनका कहना है की मेघालय एक छठी अनुसूची वाला राज्य है और इस राज्य की भूमि पर सरकार का अधिकार नहीं है बल्कि यहां के पारंपरिक संस्थाओं और लोगो का अधिकार है। बावजूद इसके मेघालय की एमडी सरकार ने पारंपरिक संस्थाओं और लोगों से बिना परामर्श किए उनकी राय जाने सीमा विवाद को हल करने के लिए 29 जनवरी को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। सरकार की इस तानाशाही रवैये का हम विरोध करते हैं और हमारा विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक हमारी जमीन हमें नहीं मिलती। ज्ञात हो की रविवार को असम-मेघालय सीमा विवाद पर मुख्यमंत्री स्तर की बैठक रविवार को असम की राजधानी दिसपुर में हुई। बैठक में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने भाग लिया था। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिश्व शर्मा ने कहा कि असम और मेघालय दोनों राज्यों के कैबिनेट मंत्री की अध्यक्षता में तीन क्षेत्रीय समितियां बनाई जाएंगी, जो मतभेदों के शेष 6 क्षेत्रों में सीमा विवादों को हल करेंगे। समितियां व्यापक दौरे करेंगी, क्षेत्रों में रहने वाले लोगों से बात करेंगी, मतभेदों को दूर करने के लिए विश्वास पैदा करेंगी और परस्पर सहमत समाधान तलाशेंगी।
असम-मेघालय सीमा विवाद के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के खिलाफ धरना
