गुवाहाटीः एक कहावत है चिराग तले अंधेरा। यह कहावत नगर के डॉ. बी बरूवा रोड स्थित मराखाली फ्लाईओवर ब्रिज के नीचे चरितार्थ हो रही है। यह फ्लाईओवर ब्रिज तो चमचमा रहा है, परंतु ब्रिज के नीचे टूटी सड़कें, खुले नाले तथा नदारत स्ट्रीट लाइट की वजह से अमावस्या की रात की तरह अंधेरा फैला हुआ है। यह रोड नेहरू स्टेडियम, डीएवी स्कूल व आर्य समाज मंदिर के लिए विख्यात है,परंतु यहां रहनेवाले लोगों की व्यथा पीड़ादायक  है। असम का मुख्य शहर गुवाहाटी स्मार्ट सिटी की ओर अग्रसर हो रहा है, परंतु इस शहर के बीचो- बीच प्रसिद्ध बी बरूवा रोड स्थित मोराखली का इलाका कुछ और ही तस्वीर  बयां कर रहा है। उलुबारी से गुवाहाटी क्लब को जोड़नेवाली इस सड़क से हर दिन वीआईपी व वीवीआईपी लोगों का काफिला गुजरता है, जिसके चलते एक छोर की सड़क स्ट्रीट लाइटों से चमचमा रही है। वहीं दूसरा अंचल अंधकार में डूबा हुआ है। फ्लाईओवर ब्रिज के नीचे गुवाहाटी नगर निगम (जीएमसी ) का गैरेज है। साथ ही एक विद्यालय भी है।  यह सड़क लंबे समय से टूटी हुई है, नाले के तीन ढक्कन खुले हैं, एक नाला खुला है तथा स्ट्रीट लाइट भी नदारत है। इस सड़क की हालत देख कर ऐसा लग रहा है मानो यह किसी बड़ी दुर्घटना को दावत दे रहे हंै। सरकार तथा जिला प्रशासन इस अंचल के निवासियों के साथ सैतेला व्यवहार कर रही है। इस अंचल के वरिष्ठ समाजसेवी तथा हरिजन मजदूर यूनियन के महासचिव टीबी डेमुरू राव का कहना है कि यह इलाका वार्ड नं. 13 के अधीन है। सरकार बदली, नेता बदले,जीएमसी का चुनाव हुआ। मेयर , उप मेयर बने तथा पार्षद भी बने, परंतु इस इलाके की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। उनका कहना है कि जीएमसी चुनाव संपन्न होने के बाद मेयर मृगेन शरणिया तथा पार्षद मेघना हजारिका यहां आई थीं, इसके बाद उन्होंने आश्वाशन दिया था कि 15 दिनों के अंदर ही इस अंचल के सड़क  निर्माण के साथ अन्य समस्याओं का समाधान किया जाएगा। कई 15 दिन बीत गए परंतु आज तक इलाके के लोग इन्हीं परेशानियों के बीच रहने को मजबूर हैं। उनका कहना है कि अगामी 27 अगस्त को मेयर,उप मेयर तथा पार्षद मेघना हजारिका को सम्मानित किया जाएगा। इसके साथ ही इस अंचल के मुद्दों को भी उठाया जाएगा। वहीं अन्य एक जागरूक नगारिक का कहना है कि  तेज बारिश होने के बाद इस सड़क पर नाले का पानी भर जाता है,इसके बाद पता नहीं चलता है कि कहां सड़क टूटी है तथा कहां नाले का ढक्कन खुला है। कई बार तो गंतव्य पर जानेवाले स्कूटी, बाइक सवार दुर्घटना के शिकार हो जाते हंै। वहीं एक बार तो बच्चा ही नाले में गिर गया, इसके बाद एक रिक्शा चालक ने जान पर खेल कर उसे नाले से निकाला।