गुवाहाटीः असम की संतान डॉ. भवेन कलिता ने विज्ञान के क्षेत्र में अपना अपूर्व योगदान दिया है। इसके लिए डॉ. कलिता को भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने युवा वैज्ञानिक के खिताब से नवाजा है। इसी संदर्भ में डॉ. कलिता ने विज्ञान जगत में अपनी यात्रा को लेकर पूर्वांचल प्रहरी को बताया कि वर्ष 2007 में कॉटन कॉलेज से अपनी स्कूली शिक्षा खत्म करने के बाद वह कंबाइन एंट्रेस एक्जाम (सीईई) में सफलता का झंडा गाड़े और राज्यभर में गणित में उच्चतम अंकप्राप्त किया। नगर के जालुकबाड़ी स्थित असम अभियांत्रिकी महाविद्यालय (एईसी) से मैकनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने आईआईटी गुवाहाटी में एसिस्टेंस प्रोजेक्ट इंजीनियर के रूप में नियुक्त होकर भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एक वर्चुवल रॉबोटिक्स लेब की स्थापना की। उन्होंने इस लेब के माध्यम से रॉबाट्कि्स के कई अनोखे पहलुओं का आविष्कार किया जो न केवल शिक्षण प्रणाली बल्कि औद्योगिक क्षेत्र में भी बड़े आविष्कार माने गए। आईआईटी गुवाहाटी से अपनी पीएचडी की डिग्री के दौरान उन्होंने असम व पूर्वोंत्तर भारत के मूगा व पात मूगा के कपड़ों पर वैज्ञानिक व मेडिकल पद्यति से होने वाली तकनीकि विकसित की। इस दौरान उन्होंने पुर्तगाल, मलेशिया, पोलैंड आदि जैसे कई देशों का भ्रमण किया, इस बीच उन्होंने अपने वैज्ञानिक कार्यों को अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में प्रदर्शित किया। इनके इस योगदान के लिए भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने उन्हें युवा वैज्ञानिक के खिताब से सम्मानित किया है। फिलहाल डॉ. कलिता यूएसए के वर्जिना टेक में पोस्ट डोक्टरेल एसोसिएट के रूप में स्थापित हैं जहां वे सिस्टम डायनिक्स, रॉबोट्कि्स व बायोमैकानिक्स के क्षेत्र में शोध कर रहे हैं।
देश-विदेश में डॉ. भवेन कलिता ने असम को किया गौरवान्वित
