नई दिल्ली की एक निजी कंपनी के अपहृत दूसरे कर्मचारी को भी अल्फा (स्वतंत्र) ने सोमवार को रिहा कर दिया। उक्त उग्रवादी संगठन ने दो दिन पहले ही एक अन्य कर्मचारी को रिहा किया था। असम राइफल्स की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि बिहार निवासी रामकुमार को 108 दिनों के बाद म्यामां की तरफ लुंगवा गांव में रिहा किया गया और मोन जिले के लुंगवा गांव में असम राइफल्स के सीमा गश्ती दल ने उन्हें अपने कब्जे में ले लिया। बयान में कहा गया कि उन्हें तिजित में अरूणाचल प्रदेश पुलिस को सौंपा गया। मालूम हो कि अल्फा (आई)और एनएससीएन (के) के म्यामां धड़े ने पिछले वर्ष 21 दिसंबर को कुइपो ऑयल एंड गैस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के कर्मी प्रणव कुमार गोगोई (51) तथा रामकुमार (35) को अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले के इन्नावो से अपहरण कर लिया था।रिहा कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि उनके साथ छह लोग आए और कहा कि उन्हें रिहा किया जाएगा और उसी मुताबिक उन्हें एक सड़क के पास छोड़ दिया गया। सुरक्षित यहां पहुंचने के बाद रामकुमार ने कहा कि सबसे पहले मैं अपने माता पिता को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उनके आशीर्वाद के कारण मैं छूटा। मैं धन्यवाद सुरक्षाबलों और मीडियाकर्मियों को भी देना चाहता हूं। साथ ही मैं अल्फा के सेनाध्य्क्ष को भी धन्यवाद  देना चाहता हूं, उन्होंने फोन वार्ता के जरिए मुझे कहा कि आप से मेरी कोई दुश्मनी नहीं है और आप को मुक्त कर दिया जाएगा। साथ ही आज मुझे मुक्त कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि इस घटना को लेकर दिन भर उठा पटक चलती रही। मालूम  हो कि  रामकुमार बिहार के खगड़िया जिले के निवासी हैं। उनके परिवार में माता-पिता और पत्नी सहित एक पुत्र और एक पुत्री भी शामिल हैं। उनका पुत्र कैंसर से ग्रसित है जिसका इलाज चल रहा है। इधर उनके परिवार में उनकी  रिहाई से खुशी की लहर है । उनके परिवार वाले उनको लेने के लिए असम के लिए रवाना हो गए हैं। काफी दिनों तक घने जंगलों में पैदल चलते रहने के बाद वे सही सलामत लौट आए। उनको चराई देव जिले के टाउकाक स्थित सीआरपीएफ 149 /ई बटालियन में आराम करने के लिए रखा गया जहां उनको खाना खिलाया गया। उल्लेखनीय है कि फरवरी में कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखकर ऑयल कंपनी के इन दोनों कर्मचारियों को उग्रवादी संगठन के चंगुल से रिहा करने के लिए कार्रवाई करने की मांग की थी। इधर राम कुमार के अपहरण के बाद उनके परिजनों के बीच कोहराम मच गया था। परिवार वाले अपने बेटे की रिहा करवाने के लिए सरकार से बार-बार गुहार लगा रहे थे। रामकुमार की रिहाई का वीडियो शनिवार से ही सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था। हालांकि, इस बात की पुष्टि वहां से प्रशासनिक अधिकारी नहीं कर रहे थे। वहीं रामकुमार की रिहाई की खबर सुनने के बाद से उनके परिजन घर लौटने के इंतजार में पलके बिछाए बैठे हैं।