गुवाहाटी : असम के शिक्षा मंत्री रनोज पेगु ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के बीते दो वर्षों के दौरान सरकारी स्कूलों में दाखिला क्रमिक रूप से बढ़ा है और इसका मुख्य कारण परिवार की वित्तीय स्थिति का कमजोर होना है। मंत्री ने एक साक्षात्कार में कहा कि महामारी का समग्र प्रभाव विद्यालयी शिक्षा पर पड़ा, लेकिन सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में अध्यापन की गुणवत्ता में क्रमिक रूप से सुधार होने से कई अभिभावकों ने अपने बच्चों को ऐसे विद्यालयों में दाखिला दिलाने में रुचि दिखाई।  पेगु ने कहा कि हमने महामारी के दौरान और इसके बाद सरकारी स्कूलों में दाखिले में वृद्धि देखी है। यह हमारे लिए अच्छी खबर है। इस घटनाक्रम के कई कारण रहे होंगे। उन्होंने कहा कि महामारी के वित्तीय प्रभाव ने कई अभिभावकों को अपने बच्चों को अधिक मासिक शुल्क वाले निजी स्कूलों से निःशुल्क सरकारी स्कूलों में भेजने के लिए मजबूर किया। पेगू ने कहा कि एक अन्य कारण सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में समग्र सुधार आना है। हमने पिछले कुछ वर्षों में गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाये हैं और इसका परिणाम अब दिख रहा है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पूरे असम में सभी सरकारी, सरकार से सहायता प्राप्त स्कूलों और गैर निजी स्कूलों में सितंबर 2020 से कोविड महामारी की 15 महीने की अवधि के दौरान छात्रों की कुल संख्या में 63,000 से अधिक वृद्धि हुई। दसवीं कक्षा के छात्रों के उत्तीर्ण होने के प्रतिशत में गिरावट आने के बारे पूछे जाने पर मंत्री ने स्वीकार किया कि नतीजों से संकेत मिलता है कि कई छात्र महामारी के दौरान औपचारिक शिक्षा से वंचित रहे। उन्होंने कहा कि हमारे लिए यह चिंता का विषय है। महामारी पूर्व के वर्षों की तुलना में इस साल उत्तीर्ण प्रतिशत बेहतर नहीं रहा। हमने विशेष कक्षाएं आयोजित की। हालांकि, हम सभी विद्यालयों और सभी छात्रों तक नहीं पहुंच सके। मंत्री ने कहा कि ग्रामीण विद्यालयों का प्रदर्शन शहरी स्कूलों की तुलना में खराब रहा क्योंकि पठन-पाठन का ऑनलाइन माध्यम हर किसी तक नहीं पहुंच सका।  बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन,असम (सेबा) द्वारा आयोजित 2022 की 10वीं कक्षा की मैट्रिक परीक्षा में विद्यार्थियों का उत्तीर्ण प्रतिशत 56.49 प्रतिशत रहा।