अल्फा (स्वाधीन) तथा एनएससीएन (आईएम) की ओर से अपहृत कुइप्पो के अधिकारी प्रणव कुमार गोगोई की रिहाई तो हो गई किंतु अन्य एक अपहृत अधिकारी बिहार के रामकुमार की रिहाई अब भी अनिश्चितता में है। अल्फा (स्वा) ने गोगोई व राम कुमार की सुरक्षित रिहाई की घोषणा की थी किंतु रामकुमार की रिहाई को लेकर संगठन ने अब तक कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है। रिहाई के बाद गोगोई ने मीडिया को बताया कि 4 मार्च तक वे रामकुमार के साथ थे। किंतु अल्फा तथा एनएससीएन ने रामकुमार को म्यामां स्थित शिविर से दूर ले गया। उस दिन से लेकर रामकुमार से मेरी मुलाकात नहीं हो पाई। गोगोई ने यह भी बताया कि मुझे यह पता था कि रामकुमार की भी रिहाई हो गई किंतु जब शनिवार को मीडिया से पता चला कि रामकुमार की रिहाई अब तक नहीं हुई है। गौरतलब है कि अल्फा के सेनाध्यक्ष परेश बरुवा ने ऐलान किया था कि गोगोई की रिहाई के समानांतर रामकुमार की भी रिहाई होगी। किंतु बरुवा ने इस पर अब तक विधिवत प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है। इसके विपरीत बरुवा के करीबियों का दावा है कि शीघ्र ही रामकुमार की रिहाई होगी। उनके करीबियों ने बताया कि कुछ विशेष कारणों से रामकुमार की रिहाई में बिलंब हो रहा है। दूसरी ओर अल्फा तथा कुइप्पो के मध्यस्थ कौशिक फूकन ने बताया कि सैन्य अभियान के कारण रामकुमार की रिहाई में विलंब हो रहा है। फूकन ने बताया कि अल्फा तथा एनएससीएन ने दोनों अपहृतों को अलग-अलग शिविरों में रखा था। रामकुमार को भी शनिवार तक छोड़े जाने की बात थी किंतु असम रायफल्स के अभियान के चलते सुरक्षा कारणों से अल्फा रामकुमार को नहीं छोड़ सका। फूकन का दावा है कि मौका मिलते ही अल्फा रामकुमार को भी रिहा कर देगा। उधर, रामकुमार की रिहाई न होने पर बिहार में उनके परिजन काफी चिंतित हैं। राज्यवासियों ने भी शीघ्र ही रामकुमार की सुरक्षित रिहाई के लिए अल्फा से गुहार लगाई है।