पार्टी में बढ़ते असंतोष एवं कई मंत्रियों के इस्तीफे के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है। जॉनसन नए प्रधानमंत्री के चुनाव तक अपने पद पर बने रहेंगे। नए प्रधानमंत्री के चुनाव के लिए सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। पार्टी में अपना नेता चुनने के लिए तीन स्तर की प्रक्रिया होती है, नॉमिनेशन, एलिमिनेशन और फाइनल सेलेक्शन। नॉमिनेशन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब एलिमिनेशन राउंड चल रहा है। भारतीय मूल के ब्रिटिश नेता ऋषि सुनक पीएम पद के लिए कंजरवेटिव पार्टी में सबसे आगे चल रहे हैं। एलिमिनेशन राउंड की वोटिंग में ऋषि सुनक को 88 वोट मिले हैं, जो 25 प्रतिशत हैं। इस दौर में सबसे आगे चल रहे सुनक को प्रधानमंत्री बनने के लिए ब्रिटिश सांसदों का समर्थन जुटाने की बड़ी चुनौती है। सुनक के बाद दूसरे नंबर पर आए पेन्नी मार्डान्ट को 67 वोट मिले हैं, जो 19 प्रतिशत है। मॉर्डान्ट के बाद ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रॉस 14 प्रतिशत वोट के साथ तीसरे स्थान पर हैं। ब्रिटेन का पीएम बनने के लिए 8 राजनेताओं ने अपनी दावेदारी दाखिल की थी, जिसमें दो उम्मीदवार एलिमिनेशन राउंड में बाहर हो गए हैं। ऋषि सुनक के माता-पिता पंजाब के रहने वाले थे, जो विदेश में जाकर बस गए। सुनक का जन्म ब्रिटेन के हैम्पशायर में हुआ। ऋषि भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस के को-फाउंडर नारायणमूर्ति के दामाद हैं। ऋषि को कंजरवेटिव पार्टी का उभरता सितारा माना जाता है। 2015 में पहली बार सांसद बने ऋषि को वर्ष 2018 में स्थानीय सरकार में मंत्री बनाया गया। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के चुनाव प्रचार में ऋषि का अहम्ï रोल रहा है। बोरिस जॉनसन के कार्यकाल में भारत और ब्रिटेन के संबंध काफी प्रगाढ़ हुए। पिछले अप्रैल माह में ही जॉनसन भारत की यात्रा पर आए थे, उस दौरान दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर समझौते हुए। मुक्त व्यापार समझौते के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं जॉनसन के बीच लंबी बातचीत हुई थी। दिवाली तक इस पर सहमति बन जाने की उम्मीद थी। जॉनसन ने भारत को तेजी से बढ़ती अर्थ-व्यवस्था बताया था और कहा था कि इस दशक के अंत तक भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापार दुगुना हो जाएगा। रक्षा के क्षेत्र में भी जॉनसन भारत के साथ लगातार सहयोग बढ़ाने को प्रयासरत थे। रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान जॉनसन अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मिलकर लगातार रूस के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाए हुए थे। उन्होंने युद्धग्रस्त यूक्रेन का दौरा कर हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया था। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की दादागिरी रोकने के लिए अमरीका साथ-साथ ब्रिटेन भी आगे आया था। अमरीका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया ने मिलकर एक सामरिक गठबंधन ऑक्स बनाया था। जिसके तहत दोनों ही देश आस्ट्रेलिया को नौसेना के क्षेत्र में मदद देने के लिए समझौते भी किए थे। वर्ष 2019 में जॉनसन के सत्ता में आने के बाद भारत और ब्रिटेन के बीच संबंध लगातार नई मुकाम तक पहुंच रहा था। यूरोपीय यूनियन से अलग होने के बाद ब्रिटेन भारत के साथ व्यापार को भी बढ़ाना चाहता था। भारत दुनिया के लिए एक बड़ा बाजार है। कोई भी देश इस बाजार में घुसने के लिए लालायित रहता है। अगर ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनते हैं तो निश्चित रूप से दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय मूल के होने के कारण ऋषि का झुकाव निश्चित रूप से भारत के प्रति रहेगा। लेकिन प्रधानमंत्री बनने के लिए उनके सामने कंजरवेटिव पार्टी में अपना नेतृत्व स्थापित करने की बड़ी चुनौती होगी। ब्रिटेन भारत की सामरिक परियोजनाओं में काफी दिलचस्पी दिखा रहा है। खासकर नौसेना के क्षेत्र में ब्रिटेन की विशेषज्ञता का लाभ भारत को मिल सकता है। अचानक ऋषि का बोरिस जॉनसन के खिलाफ होना आश्चर्यजनक रहा है। ऐसा लगता है कि उनके कार्यकाल के दौरान हुई दो-तीन विवादित घटनाओं के कारण बोरिस जॉनसन को सत्ता से दूर होने पर विवश होना पड़ा। भारत ब्रिटेन में होने वाली राजनीतिक गतिविधियों पर पैनी नजर बनाए हुए है। भारत का ब्रिटेन के साथ काफी व्यापार चलता है। अब देखना है कि ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बन पाते हैं या नहीं।
ब्रिटेन में नए प्रधानमंत्री के चुनाव की कवायद
