गुवाहाटी : सरकार द्वारा एक निश्चित मापदंड के अंतर्गत आने वाले प्लास्टिक के व्यवहार पर रोक लगाने के बावजूद भी इन प्लास्टिक का उपयोग खुल्लम-खुल्ला हो रहा है। विशेषकर छोटी दुकाने एवं सब्जी वाले धड़ल्ले से प्लास्टिक बैग का उपयोग कर रहे हैं। ग्राहक भी इस मामले में गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। वे जूट अथवा कपड़े के थैले को अपनाने में काफी हिचक रहे हैं। सब्जी व फल वाले ग्राहकों को यूज एंड थ्रो प्लास्टिक की पैकेट में ही सामान देते हैं। गौर से देखा जाए तो रास्ते में चलने वाले हर ग्राहकों के हाथों में प्लास्टिक की थैलियां ही नजर आएगी। विभिन्न सामाजिक संगठन एवं सचेतन व्यापारियों द्वारा जूट, कपड़े व कागज के थैले वितरित किए जाने के बावजूद भी ग्राहक उनको व्यवहार में नहीं लाते हैं। अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर एक ग्राहक ने बताया कि सरकारी आदेश सिर्फ छोटे-मोटे सब्जी व फल व्यापारियों व छोटे दुकानदारों पर ही लागू क्यों हो रहा है। सरकार को तो प्लास्टिक की जड़ को पकडऩा चाहिए एवं जहां प्लास्टिक बन रही है उस फैक्ट्री पर अंकुश लगाना चाहिए। फैक्ट्रियों में जो माल बनकर तैयार है उसकी खपत बाजारों में हो चुकी है। उसे तो किसी तरह से काम में लाना ही होगा। दूसरी ओर देखा जाए तो ग्राहक इन प्लास्टिक के पैकेट को घर में ले जाकर अपने कूड़ेदान में फेंक देते हैं, जो घूम फिर कर किसी नाले में अथवा सडक़ों पर पहुंच जाते हैं। इसका एक नजारा छात्रीबाड़ी बिलपार में भी देखने को मिल जाएगा। जहां बिलपार के फुटपाथ पर प्लास्टिक के कचरे का अंबार लगा हुआ है और रोज नित्य नए प्लास्टिक के पैकेट वहां फेंके जाते हैं। जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बिलपार जैसे रिहायशी इलाके में जहां एक भी दुकान नहीं है, वहां यह प्लास्टिक घरों से ही आते हैं और घरों में दुकानदारों से ही लाते हैं। बिलपार में फेंके हुए प्लास्टिक के पैकेट बिल के पानी में जब मिलते हैं तो स्थिति और भी भयावह हो जाती है। पानी के जाम की समस्या से आधे घंटे की बरसात में सडक़ों पर जलजमाव शुरू हो जाता है अर्थात एक छोटी-सी प्लास्टिक की थैली का आगे जाकर जो परिणाम निकलता है उससे ग्राहक अनभिज्ञ रह रहे हैं। सरकार को नगर निगम के द्वारा प्लास्टिक छोड़ो अभियान के कार्य को और अधिक गति देने का काम प्राथमिकता के आधार पर करना होगा। विभिन्न सामाजिक संस्थाएं भी प्लास्टिक वर्जन जागरूकता कार्यक्रम के द्वारा इस समस्या को काफी हद तक कम कर सकती हैं। गत वर्ष अणुव्रत समिति गुवाहाटी ने इस पर अपने कदम बढ़ाए भी थे और नगर के विभिन्न इलाकों में कपड़े, जूट व कागज की थैलियों का नि:शुल्क वितरण भी किया था। अगर दुकानदार भी यह कदम उठाएं तो शायद इस समस्या का काफी हद तक समाधान निकल जाएगा। फुटपाथ पर बैठने वाले सब्जी व्यापारी व फल विक्रेताओं को भी प्लास्टिक वर्जन की दिशा में जागरूक करने का अभियान ग्राहकों को चलाना चाहिए।