जापान के लोकप्रिय नेता एवं पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की 8 जुलाई को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्यारे ने काफी नजदीक से उस वक्त गोलियां चलाई जब वे जापान के नारा शहर में चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे। ऐसी खबर है कि 15 मिनट बाद एंबुलेंस पहुंची तथा उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया। तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। शिंजो की हत्या के बाद कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। जापान में इस तरह की घटना 90 वर्ष पूर्व 1932 में हुई थी, जब वहां के प्रधानमंत्री की हत्या हो गई थी। जापान में सबसे ज्यादा लगभग 9 साल तक प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए शिंजो ने घरेलू एवं बाहरी चुनौतियों का सामना करते जापान को प्रगति के मार्ग पर अग्रसर किया। शिंजो की हत्या भारत के लिए बड़ी क्षति है, क्योंकि उनके शासनकाल में दोनों देशों के संबंध काफी प्रगाढ़ हुए थे। अपने कार्यकाल के दौरान वे चार बार भारत की यात्रा पर आए। प्रखर राष्ट्रवादी नेता शिंजो के शासन में बुलेट ट्रेन परियोजना, दिल्ली मेट्रो, स्मार्ट सिटी परियोजना एवं पूर्वोत्तर के राज्यों की परियोजनाओं में उनकी अहम्ï भूमिका रही। जापान ने भारत में इन परियोजनाओं के लिए काफी निवेश किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ शिंजो की अच्छी दोस्ती थी जिसका फायदा भारत को भी मिल रहा था। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने शोक-संदेश में यह स्वीकार भी किया कि उन्होंने अपना एक अच्छा दोस्त खो दिया। भारत ने वर्ष 2021 में अपने दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्ïम विभूषण से शिंजो को सम्मानित किया था। भारत ने उनके शोक में एक दिन का राष्ट्रीय शोक भी घोषित किया। उनकी हत्या के पीछे विदेशी साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता। जिस तरह चीन में उनकी हत्या के बाद जश्न मनाया गया उससे साबित होता है कि वे चीन के आंखों की किरकिरी बने हुए थे। वर्ष 2017 में शिंजो ने चीन की विस्तारवादी एवं दादागिरी को रोकने के लिए फिर से क्वाड को सक्रिय किया था। भारत, अमरीका एवं आस्ट्रेलिया को साथ लेकर शिंजो ने चीन को घेरने के लिए रणनीति तैयार की ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त रखा जा सके। भारत और जापान दोनों चीन की विस्तारवादी नीति से त्रस्त हैं। ऐसी स्थिति में क्वाड एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। स्वास्थ्य कारणों से प्रधानमंत्री का पद छोडऩे के बाद भी वे भारत-जापान एसोसिएशन के अध्यक्ष बने हुए थे। उन्होंने भारत-जापान संबंधों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। द्विपक्षीय संबंधों को वैश्विक साझेदारी तक ले जाने के क्षेत्र में उनकी अहम्ï भूमिका रही। शिंजो के प्रधानमंत्री बनने के बाद जापान की नीति में काफी बदलाव आया जिसका नतीजा यह हुआ कि जापान अभी अपने पुराने फॉर्म में वापस लौट आया है। आर्थिक एवं सामरिक क्षेत्र में जापान ने कई परियोजनाएं शुरू की है। शिंजो की नीतियों के कारण ही वर्ष 2016 में भारत और जापान के बीच शांतिपूर्ण कार्यों के लिए परमाणु समझौता संपन्न हुआ। सामरिक क्षेत्र में भी जापान ने भारत को कई क्षेत्रों में मदद की। ऐसे नेता का बिछुडऩा भारत के लिए भी एक बड़ा धक्का है। क्वाड के नेताओं ने शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि सभी चारों देश शिंजो की नीतियों को अब और ज्यादा तेजी के साथ आगे बढ़ाएंगे। जांच एजेंसियां इस मामले की जांच कर रही हैं। इसके बाद ही यह पता चल पाएगी कि उनकी हत्या के पीछे किसका हाथ था। अब जापान सरकार को भी सुरक्षा-व्यवस्था पर गंभीरता से सोचना होगा।