राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू तथा विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा राज्यों में घूम-घूमकर अपने पक्ष में मतदान के लिए राजनीतिक दलों के नेताओं एवं विधायकों से संपर्क कर रहे हैं। मतदान की तिथि नजदीक आने के साथ ही चुनावी सरगर्मी बढ़ती जा रही है। इसी बीच उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी होने के बाद सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं। इसके लिए नामांकन पत्र भरने की अंतिम तारीख 19 जुलाई रखी गई है, जबकि छह अगस्त को मतदान होगा। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को खत्म हो रहा है। राजग एवं विपक्षी दलों के बीच उम्मीदवारों के चयन को लेकर जोरदार मंथन चल रहा है। छह जुलाई को दो केंद्रीय मंत्रियों मुख्तार अब्बास नकवी एवं रामचन्द्र प्रसाद सिंह (आरसीपी सिंह) के इस्तीफे के बाद कई तरह के कयास लगाये जा रहे हैं। मालूम हो कि नकवी को भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा के लिए उम्मीदवार नहीं बनाया था। इसी तरह जनता दल (यू) ने आरसीपी सिंह को भी राज्यसभा के लिए टिकट नहीं दिया था। अब दोनों का राज्यसभा के लिए कार्यकाल छह जुलाई को खत्म हो गया। ऐसी स्थिति में इन दोनों केंद्रीय मंत्रियों को इस्तीफा देने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था। नकवी भारतीय जनता पार्टी के पुराने नेता हैं। कैबिनेट की बैठक में भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नकवी और आरसीपी सिंह की तारीफ कर चुके हैं। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि शायद राजग नकवी को उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार बना सकती है। हालांकि अभी तक इसके बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। वैसे राजग की तरफ से पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान एवं नजमा हेपतुल्ला का नाम भी सामने आ रहा है। भाजपा किसी मुस्लिम या सिख चेहरे को उपराष्ट्रपति पद के लिए नामित कर वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव तथा इससे पहले होने वाले विधानसभा चुनावों में राजनीतिक लाभ लेना चाहती है। राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार घोषित करने के दौरान सियासी मात खाने के बाद विपक्ष इस बार राजग द्वारा उम्मीदवार घोषित करने का इंतजार कर रहा है। राजग के उम्मीदवार को देखकर विपक्ष उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना पत्ता खोलना चाहता है। वैसे राजग के पास अपना उम्मीदवार जिताने के लिए पर्याप्त बहुमत है। उपराष्ट्रपति के लिए संसद के दोनों सदनों लोकसभा एवं राज्यसभा के सांसद वोटिंग करते हैं। इसलिए दोनों सदनों को मिलाकर राजग के पास स्पष्ट बहुमत है। आरसीपी सिंह का इस्तीफा जनता दल(यू) के अंदरूनी कलह का परिणाम है। एक समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खास रहे आरसीपी सिंह की अनबन चल रही है। जद(यू) का मानना है कि आरसीपी सिंह जद(यू) की जगह अभी भाजपा के ज्यादा नजदीक हो गए हैं। नीतीश कुमार इसको पचा नहीं पा रहे हैं। बीच में ऐसी अटकल लगी थी कि शायद आरसीपी भाजपा का दामन थाम सकते हैं। लेकिन गठबंधन की मजबूरी ने भाजपा को इस तरह का कदम उठाने से रोक रखा है। मंत्री पद छोड़ने के बाद अब देखना है कि आरसीपी सिंह आगे क्या कदम उठाते हैं। उपेन्द्र कुशवाहा को तरजीह देना यह साबित करता है कि नीतीश कुमार आरसीपी का पर काटने में लगे हैं। लेकिन नकवी को लेकर भाजपा अभी अपना पत्ता नहीं खोल रही है। अगर उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार नहीं भी बनाया गया तो उनको कोई और अहम् जिम्मेवारी दी जा सकती है। नकवी संसद के दोनों सदनों में एक मात्र मुस्लिम चेहरा थे। ऐसी स्थिति में ऐसा अनुमान है कि नकवी को आगे बड़ी जिम्मेवारी ही मिलेगी। विपक्ष भी उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए पहल कर रहा है। शायद इस बार कांग्रेस उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के चयन के मामले में अग्रणी भूमिका निभाएगी। इस मामले में सभी विपक्षी दलों की राय ली जाएगी। उसके बाद ही सर्वसम्मति से उम्मीदवार के नाम पर मुहर लगेगी।