राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। इसको देखते हुए नए राष्ट्रपति के लिए चुनावी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 18 जुलाई को मतदान होगा। मतदान की तिथि नजदीक आने के साथ ही राजनीतिक सरगर्मी बढ़ती जा रही है। सत्तारूढ़ जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने राष्ट्रपति पद के लिए झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया है। दूसरी तरफ विपक्ष ने इस पद के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस के नेता यशवंत सिन्हा को मैदान में उतारा है। दोनों ही उम्मीदवार अपने पक्ष में मतदाताओं को लुभाने के लिए मैदान में उतर चुके हैं। दोनों ही उम्मीदवार विभिन्न राज्यों का दौरा कर राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। अगर आंकड़े पर नजर डालें तो राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का पलड़ा भारी लग रहा है। भाजपा ने अंतिम समय में आदिवासी महिला को उम्मीदवार बनाकर एक बड़ा राजनीतिक दांव खेल दिया है। विपक्षी दलों को इसका जवाब नहीं सूझ रहा है। राजग ने पहले ही वोटों का हिसाब करके ही मुर्मू को मैदान में उतारा है। आदिवासी महिला होने के कारण बीजू जनता दल, बहुजन समाज पार्टी, अकाली दल, वाईएसआर कांग्रेस सहित कुछ पार्टियों को समर्थन देने पर मजबूर होना पड़ा है। मुर्मू को राजग के घटक दलों के अलावा बहुत-से दलों का समर्थन मिल रहा है। अभी भी आम आदमी पार्टी, तेलगुदेशम पार्टी एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा जैसे विपक्षी दलों ने अपना पत्ता नहीं खोला है। आंकड़ों के हिसाब से वर्तमान में मुर्मू के पक्ष में छह लाख से ज्यादा वोट हैं, जबकि उन्हें चुनाव जीतने के लिए लगभग साढ़े पांच लाख वोटों की जरूरत होगी। विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के पक्ष में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, भाकपा, माकपा, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, टीआरएस, डीएमके, नेशनल कांफ्रेंस एवं केरल कांग्रेस जैसी पार्टियां खड़ी हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र में कांग्रेस एवं वामपंथी पार्टियों को छोड़कर भाजपा सहित सभी क्षेत्रीय पार्टियां मुर्मू के पक्ष में जाती दिख रही हैं। सिन्हा के पास फिलहाल तीन लाख से ज्यादा वोट हैं, जो चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त नहीं है। आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर भाजपा ने देश के शीर्ष पद के लिए जो दांव खेला है उसका लाभ आगामी चुनावों में मिल सकता है। कुछ विपक्षी पार्टी इस मुद्दे पशोपेश की स्थिति में है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बयान इसका जीता-जागता उदाहरण है। ममता ने कहा है कि अगर मोदी सरकार विपक्ष के उम्मीदवार की घोषणा से पहले द्रौपदी मुर्मू का नाम प्रस्तावित करता तो हमलोग इस पर विचार कर सकते थे। लेकिन भाजपा ने अंतिम समय में इसकी घोषणा की, ताकि विपक्ष के पास कोई चाल चलने का मौका नहीं मिले। पिछली बार दलित उम्मीदवार तथा इस बार आदिवासी महिला को उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने मतदाताओं को यह संदेश देने का प्रयास किया है कि उनकी पार्टी कमजोर एवं पिछड़े वर्गों के हितों के प्रति गंभीर है। मालूम हो कि राष्ट्रपति पद के चुनाव में संसद के दोनों सदनों लोकसभा एवं राज्यसभा तथा विधानसभा एवं विधान परिषद के सदस्य मतदान करते हैं। हर राज्यों में मतों का मूल्य अलग-अलग होता है। 18 जुलाई को मतदान के दिन ही चुनाव परिणाम की घोषणा हो जाएगी। नए राष्ट्रपति 25 जुलाई को शपथ लेंगे।
राष्ट्रपति का चुनाव
