गुवाहाटीः भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने एक किफायती विकिरणीय कूलर कोटिंग सामग्री तैयार की है, जो वातानुकूलन प्रणाली का एक विकल्प है, जिसे संचालित करने के लिए बिजली की भी आवश्यकता नहीं होती है। अधिकारियों के अनुसार, यह सामग्री बिजली-मुक्त शीतलन प्रणाली है, क्योंकि इसे छतों पर लगाया जा सकता है और यह पारंपरिक एयर-कंडीशनर का विकल्प प्रदान करता है, जिसे रात और दिन दोनों समय इस्तेमाल किया जा सकता है। आईआईटी गुवाहाटी के शोधकर्ता आशीष कुमार चौधरी ने कहा कि निष्कि्रय विकिरण शीतलन प्रणाली इन्फ्रारेड विकिरणों के रूप में आसपास से अवशोषित गर्मी उत्सर्जित करके संचालित होती है। अधिकांश निष्कि्रय विकिरण कूलर केवल रात में ही संचालित होते हैं। दिन में संचालन के लिए, ऐसे कूलर को पूर्ण सौर विकिरण को प्रतिबिंबित करने की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि अब तक, ये शीतलन प्रणाली दिन के समय पर्याप्त शीतलन प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं। हम इन मुद्दों को हल करने के लिए तैयार हैं और एक सस्ती और अधिक कुशल विकिरण शीतलन प्रणाली लाने के लिए तैयार हैं, जो चौबीसों घंटे काम कर सकती है। उनके नवाचार को आईओपी पब्लिशिंग, यूनाइटेड किंगडम द्वारा जर्नल ऑफ फिजिक्स डीः एप्लाइड फिजिक्स में प्रकाशित किया गया है। भारत जैसे गर्म मौसम का अनुभव करने वाले देशों में इमारतों और ऑटोमोबाइल को ठंडा करने के लिए पारंपरिक एयर कंडीशनिंग सिस्टम का उपयोग किया जाता है। पारंपरिक शीतलन तकनीकों के विपरीत, जो अपशिष्ट गर्मी को परिवेश में डंप करती हैं, विकिरण शीतलन एक अनूठी प्रक्रिया है जो अत्यधिक ठंडे ब्रह्मांड में सीधे अत्यधिक गर्मी भेजकर पृथ्वी पर एक वस्तु को ठंडा करती है। इस नवाचार के साथ, कूलर निर्माता अब बिजली मुक्त शीतलन प्रणाली बनाने के लिए विकिरण शीतलन का पता लगा सकते हैं। शोध टीम के अनुसार, विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में परिचालित किए जाने और स्थायित्व के लिए बड़े पैमाने पर प्रोटोटाइप विकसित किए जाने और परीक्षण के बाद यह बाजार तक पहुंच जाएगा। शोधकर्ता अब इस दिशा में काम कर रहे हैं।
आईआईटी ने बिना बिजली खपत वाला ‘रेडिएटिव कूलिंग सिस्टम’ किया विकसित
