मारा मोबाइल महीने भर से रिपेयरिंग के लिए ‘मोबाइल अस्पताल’ में भर्ती है। पानी चला जाने के चलते उसकी चार्जिंग होना बन्द हो गया था। अन्धा, गूंगा, बहरा हो गया है मोबाइल। रिपेयरिंग सेंटर वालों ने बताया कि चार्जिंग होने लगी, रोशनी भी आ गई, लेकिन आवाज अभी नदारद है। मदरबोर्ड बदलना पड़ेगा। हमने कहा-बदल दो। बताया गया कि रिपेयरिंग के पहले आधे पैसे जमा करवाने होंगे। हमें लगा कि मोबाइल न हुआ आईसीयू में भर्ती आदमी हो गया। ऑपरेशन तभी होगा जब एडवांस पैसा जमा करोगे। अस्पताल का डर होता होगा कि आदमी ठीक होकर फूट लिया तो पैसे डूब जाएंंगे। लेकिन मोबाइल के तो पैर नहीं है। रिपेयरिंग चार्ज से कई गुने ज्यादा का मोबाइल जमा है, लेकिन आधा पैसा एडवांस में चाहिए। खैर, गए। मोबाइल देखा। कमर में कागज बंधा था, पट्टी की तरह। ऑन किया तो सब डाटा, फोटो दिखे। लेकिन आवाज गोल। मोबाइल बेचारा न बोल पा रहा था न सुन पा रहा था। लेकिन ऐसा लग रहा था हमें यहां से ले चलो। हमने उसको प्यार से सहलाते हुए दिलासा दिया-‘ले चलेंगे बेटा, बस जरा ठीक हो जाओ।’ ये तो हुई मोबाइल की बात। जो पार्ट खराब हुआ बदल दिया गया। फिर से टनाटन चलने लगेगा। बड़ी बात नहीं कल को आदमी की रिपेयरिंग भी इसी तरह होने लगे। आदमियों के भी रिपेयर सेंटर खुल जाएंं। आदमी रिपेयर सेंटर में हर अंग को बदलने की सुविधा होगी। आदमी मोटा हो गया, लेकिन टांगें पतली हैं तो टांगें बदल जाएंगी। सांस की तकलीफ है, फेफड़े नए डाल देंगे। नजर कमजोर है, नई आंख लगवा लो। चेहरे पर दाग हैं, स्किन बदलवा लो। कोई महिला अपने बच्चे को ले जाएगी और कहेगी- ‘भाई साहब बेटे को चीजें जल्दी याद नहीं होती। इसकी मेमोरी चिप बदल दो।’ पिता लोग अपनी बेटियों को जमा कराएंगे- ‘इसके दिमाग से प्यार का भूत इरेज कर दो। खानदान की इज्जत का सवाल है।’ मुकदमों में फंसे लोग अपने खिलाफ गवाह की मेमोरी चिप में अपने हिसाब से यादें ठेल देंगे। बच जाएंगे। कोई आदमी अपनी औरत के चेहरे की स्किन चमकदार करवाने के भर्ती करायेगा और बाद में फोन करके उसकी आवाज भी थोड़ा धीमे कर देना। चिल्लाती बहुत है। पैसे की चिन्ता न करो। मैं दे दूंगा। कोई औरत अपने आदमी को लेकर आएगी -‘इनकी खांसी ठीक ही नहीं हो रही। फेफड़े बदल दो।’अलग से कहेगी - ‘भाई साहब इनकी मेमोरी फाइल से इनकी प्रेमिका का नाम डिलीट कर दो। जब देखो तब उसी को पढ़ते रहते हैं।’ कोई नेता सैकड़ों लोगों को लिए आएगा और कहेगा- ‘ इनके दिमाग में हमारी पार्टी की विचारधारा और हमारे नेता की जयकार फीड कर दो। चुनाव आने वाले हैं।’ फिर तो स्कीम भी चलेंगी। पुराना आदमी लाओ, नया ले जाओ। ऑफर सीमित। भुगतान किस्तों में। एक्सीडेंट में बहुत टूट फूट हो गई तो नया शरीर मिल जाएगा अस्पताल में। आदमियों की कास्टिंग , फोरजिंग मौजूद होंगे अस्पतालों में। आदमी के हिसाब से शरीर की मशीनिंग हो जाएगी। मेमोरी और दीगर चीजें चिप में कॉपी करके फिट कर दी जाएंंगी। पता चला रिपेयर होने के बाद आदमी के स्वभाव में कोई बदलाव आया तो परिवार वाले कहेंगे- ‘जब से रिपेयर होकर आए हैं तबसे चिड़चिड़े हो गए हैं। पहले शांत रहते थे! या फिर यह कि-‘ रिपेयर होने के बाद सुधर गए हैं। सारे खुराफाती वायरस निकल गए!’ कभी-कभी कुछ बवाल भी हो शायद। पता चला कि डॉक्टर ने तमाम हिन्दू आदमियों के दिमाग में कुरान डाउनलोड कर दीं। मुसलमान लोगों के दिमाग में गीता के श्लोक जमा हो गए। पता चला कोई माक्र्सवादी आदमी रिपेयर होकर आया तो उसके दिमाग से ‘दास कैपिटल’ गायब है और उसकी जगह ‘एक के बदले चार फ्री’ तथा ‘ऑफर सीमित जल्दी करें’ की तमाम स्कीमें भरी हैं। मुक्तअर्थव्यवस्था के हिमायती के दिमाग में लाइसेंसी जमाने की योजनाएं कब्जा किए हैं। सरकारों को भी सुविधा होगी। नई सरकार के आने पर राज्यपाल बदलने नहीं पड़ेंगे। केवल पुरानी पार्टी की चिप निकालकर अपनी पार्टी की चिप लगवा देंगे। अफसरों के तबादलों की जगह उनकी चिपों के तबादले होंगे। सब लोग नई सरकार के मसौदे के हिसाब से काम करने लगेंगे। सरकारों को सहूलियत होगी कि वे अपने हिसाब से मीडिया और बुद्धिजीवियों के दिमाग में अपने हिसाब से चिपें फिट करवा लेगें। हम भी क्या-क्या फालतू सोचने लगे हैं आजकल। लगता है दिमाग खराब हो रहा है। रिपेयरिंग करवानी पड़ेंगी।