गुवाहाटी : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), गुवाहाटी के शोधकर्ताओं द्वारा पूर्वोत्तर भारत की कोयला खदानों में एसिड माइन ड्रेनेज (एएमडी) को कम करने के लिए एक नई विधि विकसित की गई है। शोध समूह ने दावा किया कि यह बायोरेमेडिएशन प्रदर्शित करने वाला पहला अध्ययन है। प्रख्यात केमिकल इंजीनियरिंग जर्नल में प्रकाशित शोध पत्र के अनुसार एएमडी ने कोयला खदानों (या किसी भी पॉलीमेटेलिक खानों) से उत्पन्न अम्लीय अपशिष्ट जल को संदर्भित किया, जिसमें उच्च मात्रा में सल्फेट, लोहा और विभिन्न विषाक्त भारी धातुएं होती हैं। एएमडी प्राप्त करने वाले कंस्ट्रक्टेड वेटलैंड्स (सीडब्ल्यू) में आने वाले दीर्घकालिक परिचालन स्थिरता मुद्दों को संबोधित करते हुए अनुसंधान ने एएमडी प्रदूषण को कम करने के लिए एक कुशल टिकाऊ उपचार दृष्टिकोण विकसित किया। इसके अलावा, सीडब्ल्यू में सह-होने वाली विभिन्न मूलभूत प्रक्रियाओं के कामकाज को समझने के लिए एक जैव रासायनिक तंत्र विकसित किया गया है। यह बताया गया कि शोधकर्ताओं ने नॉर्थईस्टर्न कोलफील्ड्स (एनईसी) में एएमडी डिस्चार्ज के मौसम-वार भिन्नता (मानसून, प्री-मानसून और पोस्ट-मानसून) का अध्ययन किया और एक प्रयोगशाला-स्तरीय अध्ययन किया। जिसमें सफलता मिली।
आईआईटीजी ने पूर्वोत्तर के कोयला खदानों में एसिड माइन ड्रेनेज को कम करने के लिए तकनीक विकसित की
