अफगानिस्तान में भूकंप के कारण एक हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है,जबकि घायलों की संख्या भी 1,600 को पार कर गई है। कुछ अपुष्ट समाचार के मुताबिक मृतकों की संख्या चार हजार तक भी पहुंच सकती है। इस बीच भारत ने  प्रभावित लोगों तक मानवीय सहयोग पहुंचाने के लिए काबुल में अपने दूतावास के लिए एक तकनीकी टीम भेजी है जो मानवीय सहायता के वितरण का समन्वय करेगी।  पिछले साल अगस्त में अमरीकी सेना की अफगानिस्तान से वापसी और तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत ने अपने दूतावास से अपने अधिकारियों को हटा लिया था। फिलवक्त जब अफगानिस्तान एक बड़े मानवीय संकट से गुजर रहा है तो भारत खुद को उसकी मदद करने और पड़ोसी धर्म निभाने से पीछे नहीं है। इसी कड़ी में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट कर कहा कि भारत और अफगानिस्तान में आए भयावह भूकंप के पीडि़तों और उनके परिवारों और इससे प्रभावित होने वाले सभी लोगों के प्रति शोक और सहानुभूति प्रकट करता है। उन्होंने कहा कि हम अफगानिस्तान के लोगों की पीड़ा को समझते हैं। जरूरत की इस घड़ी में हम उनको सहायता और समर्थन देने की प्रतिबद्धता जता चुके हैं। यह आपदा देश में ऐसे समय में आई है जब अफगानिस्तान से अमरीकी सेना की वापसी के बाद तालिबान के देश को अपने नियंत्रण में लेने के मद्देनजर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने अफगानिस्तान से दूरी बनाई हुई है। इस स्थिति के कारण 3.8 करोड़ की आबादी वाले देश में बचाव अभियान को अंजाम देना काफी मुश्किल भरा होने का अंदेशा है। अफगानिस्तान के राजदूत फरीद मामुंदजई ने इस कठिन समय में एकजुटता और समर्थन प्रकट करने के लिए भारत की सराहना की।  उन्होंने ट्वीट किया कि इस कठिन समय में एकजुटता एवं समर्थन प्रकट करने के लिए भारत की सराहना करते हैं। खबर है कि अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति पहले ही बद से बदतर होती जा रही है और ऐसे में भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा से देश के काफी लोगों के जीवन पर बोझ असहनीय हो जाएगा। भूकंप के बाद तालिबान ने अंतर्राष्ट्रीय मदद की अपील की थी। इस अपील के बाद कई देशों ने संकटग्रस्त देश के लिए मदद भेजी है जिनमें भारत भी शामिल है। हाल ही में एक भारतीय दल ने अफगानिस्तान को हमारे मानवीय सहायता अभियान की आपूर्ति को देखने के लिए काबुल का दौरा किया था और वहां सत्तारूढ़ तालिबान के वरिष्ठ नेताओं के साथ मुलाकात की थी। भूकंप के पहले भी भारत  अफगानिस्तान की मदद कर चुका है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक अफगानिस्तान में 20,000 टन गेहूं, 13 टन दवाएं, कोविड-19 टीकों की 5,00,000 खुराक और सर्दियों के कपड़े अफगानिस्तान में भेजे जा चुके हैं। बुधवार को आए भूकंप के कारण 10 हजार घर या तो पूरी तरह से नष्ट हो गए या आंशिक रूप से तबाह हो गए। उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व भारत ने पिछले मार्च महीने में गेहूं की खेप भेजी थी ताकि वहां के लोग भूखमरी का शिकार न हो जाएं। सर्वविदित है कि भारत का नजरिया हमेशा शांति, मैत्री, सहयोग का रहा है। भारत ने पिछले मार्च महीने में मानवीय मदद के तहत युद्धग्रस्त अफगानिस्तान को कोरोनारोधी टीके की पांच लाख खुराक प्रदान की। इसके अलावा पचास हजार टन गेहूं और जीवन रक्षक दवाओं की आपूर्ति करने का आगामी दिनों में  लक्ष्य निर्धारित किया। फिलवक्त तालिबान के अच्छा रवैया न अपनाने के कारण अफगानिस्तान के नागरिक संकट में हैं। भारत ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है। उसकी शर्त है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों को पनाह देने के लिए न हो। तालिबान सरकार के अफगानिस्तान के लोगों के प्रति किए जा रहे भेदभाव और परेशान करने के रवैए को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की बैठक में सभी देशों की ओर से अंकुश लगाने का मुद्दा उठाया जाना चाहिए। अन्य देशों को भी भारत की तरह सहायता देने के लिए आगे आना चाहिए। मानवीय मदद का महत्व संकट के समय में अधिक होता है। कुल मिलाकर हमें भारत सरकार की मानवीय पहल पर नाज है। हमारी सरकार ने मानवीयता को विशेष महत्व दिया है, जिसकी जितनी भी सराहना की जाए, वह कम है।