कुपोषण पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या है,  इसकी वजह से बड़े पैमाने पर बच्चे असमय ही मौत के शिकार हो जाते हैं। साथ ही महिलाएं भी कई तरह की बीमारियों का शिकार हो जाती हैं। शरीर के लिए आवश्यक संतुलित आहार लंबे समय तक नहीं मिलना ही कुपोषण है। इसके कारण बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती हैं, जिससे वे आसानी से कई तरह की बीमारियों  से ग्रस्त हो जाती हैं। अत: कुपोषण की जानकारियां होना अत्यन्त जरूरी है। विकसित राष्ट्रों की अपेक्षा विकासशील देशों में कुपोषण की समस्या विकराल है। इसका प्रमुख कारण है-गरीबी। धन के अभाव में गरीब लोग पर्याप्त पौष्टिक चीजें जैसे-दूध, फल, घी इत्यादि नहीं खरीद पाते। कुछ तो केवल अनाज से मुश्किल से पेट भर पाते हैं। लेकिन गरीबी के साथ ही एक बड़ा कारण अज्ञानता तथा निरक्षरता भी है। अधिकांश लोगों विशेषकर गांव-देहात में रहने वाले व्यक्तियोंं को संतुलित भोजन के बारे में जानकारी नहीं होती। इस कारण वे स्वयं अपने बच्चों के भोजन में आवश्यक वस्तुओं का समावेश नहीं करते,इस कारण वे स्वयं तो इस रोग से ग्रस्त होते ही हैं। साथ ही अपने परिवार को भी कुपोषण का शिकार बना देते हैं। अकसर महिलाएं पूरे परिवार को खिलाकर स्वयं बचा हुआ रूखा-सूखा खाना खाती हैं,जो उनके लिए अपर्याप्त होता है। सही आहार समय पर नहीं मिलना बच्चों के लिए समय पर सही आहार देना उचित होता है। बच्चों के कल्याण के लिए समर्पित संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूनिसेफ के मुताबिक यूक्रेन में युद्ध, कुछ देशों में जलवायु परिवर्तन से जुड़े सूखे और कोविड-19 महामारी के कारण इस साल खाद्य कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है। यूनिसेफ की नई रिपोर्ट के मुताबिक पांच साल से कम उम्र के लगभग 80 लाख बच्चों के गंभीर कुपोषण से मरने का खतरा है। इनमें से अधिकतर बच्चे उन 15 देशों में हैं जो भोजन और चिकित्सा सहायता की कमी से पीडि़त हैं। इन संकटग्रस्त देशों में अफगानिस्तान, इथियोपिया, हैती और यमन शामिल हैं। पिछले साल तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से ही देश की हालत खराब हुई है। एक अनुमान के मुताबिक इस साल अफगानिस्तान में 11 लाख बच्चे भीषण भूख से पीडि़त होंगे। बहुत अधिक दुबलापन कुपोषण का सबसे खराब रूप है। इस रोग में बच्चे को भोजन की इतनी कमी हो जाती है कि उसका प्रतिरक्षा तंत्र काम करना बंद कर देता है। उन्हें अन्य बीमारियों के होने का भी खतरा होता है। अल्पपोषण कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली का कारण बनता है, जो अच्छी तरह से पोषित बच्चों की तुलना में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु के जोखिम को 11 गुना तक बढ़ा देता है। इस सर्वे के लिए 14 राज्यों में जितने लोगों से बात की गई उनमें से 79 प्रतिशत परिवारों ने बताया कि 2021 में उन्हें किसी न किसी तरह की खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा।  25 प्रतिशत परिवारों को भीषण खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा। सर्वेक्षण भोजन का अधिकार अभियान समेत कई संगठनों ने मिल कर कराया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 की शुरुआत से कुपोषण ने अतिरिक्त 2,60,000 बच्चों को प्रभावित किया। यूक्रेन में युद्ध और दुनिया के कुछ हिस्सों में जलवायु परिवर्तन के कारण लगातार सूखे के कारण खाद्य कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है। कोरोना महामारी के कारण आर्थिक प्रभाव ने भी बच्चों में कुपोषण के मामलों में वृद्धि में योगदान दिया है। इससे पहले मई में भी यूनिसेफ ने बच्चों की स्थिति को लेकर चेताया था। उस वक्त एजेंसी ने कहा था कि कुपोषित बच्चों के जीवन को बचाने के लिए इलाज की लागत में 16 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि कुपोषण सिर्फ एक देश की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। इससिए इस पर हम सबको सोचना चाहिए। हमारे बीच कोई बच्चा या महिला कुपोषण का शिकार न हो जाए इस पर चिंता लाजिमी है।