अग्निपथ योजना के खिलाफ नौजवानों ने आंदोलन की राह अख्तियार कर ली है। इसके मद्देनजर राज्यों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना के ऐलान के दूसरे दिन से ही विरोध प्रदर्शन और हिंसा शुरू हो गई थी। कुछ संगठनों ने सोमवार को भारत बंद का ऐलान किया था। इस बंद का समर्थन कुछ विपक्षी दलों ने भी किया। योजना के ऐलान के बाद से ही गुस्साए नौजवानों के निशाने पर रेलवे और रेलवे की संपत्तियां हैं। रेलवे की संपत्ति को नुकसान से बचाने के लिए 530 के करीब ट्रेनें रद्द कर दी गईं हैं, इनमें 348 पैसेंजर ट्रेनें और 181 मेल-एक्सप्रेस ट्रेनें शामिल हैं। पिछले कई दिनों से जारी विरोध प्रदर्शन के दौरान कई ट्रेनें जला दी गईं और उनको नुकसान पहुंचाया गया। सोमवार को ट्रेनें रद्द होने के कारण अलग-अलग राज्यों के रेल स्टेशनों पर यात्री फंसे रहे। दूसरी ओर कांग्रेस अग्निपथ योजना के खिलाफ जंतर-मंतर पर विरोध कर रही है। पुलिस ने कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन के लिए कार्यकर्ताओं की संख्या करीब एक हजार रखी है। केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना व राहुल गांधी पर ईडी की कार्रवाई के खिलाफ कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता जंतर-मंतर पर सत्याग्रह कर रहे हैं, इन्हीं दोनों मुद्दों को लेकर कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार शाम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मिला। नौजवानों के विरोध के बावजूद सेना ने दोहराया है कि अग्निपथ योजना वापस नहीं होगी। सेना का कहना है कि अग्निपथ योजना युवाओं, सेना और देशहित में है। उन्होंने कहा कि युवाओं को भर्ती पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें गुमराह नहीं होना चाहिए। केंद्र सरकार के सभी मंत्री और बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री योजना के फायदे गिना रहे हैं और इसे युवाओं के लिए तरक्की वाला कदम बता रहे हैं। रविवार को भी तीनों सेनाओं की तरफ से कहा गया कि अब सारी भर्तियां अग्निपथ योजना के जरिए होंगी। सेना का कहना है कि जो भी युवा अग्निवीर बनना चाहता है उसे शपथ पत्र देना होगा कि वह किसी विरोध प्रदर्शन या तोड़फोड़ में शामिल नहीं थे। रक्षा मंत्रालय के सैन्य मामलों के विभाग में अतिरिक्त सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी का कहना है कि अग्निवीरों की पुलिस जांच कराई जाएगी। कैमरों और सीसीटीवी फुटेज से भी इस बात की पुष्टि की जाएगी कि आवेदक ने किसी आंदोलन या प्रदर्शन में हिस्सा तो नहीं लिया है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना इस योजना का नाम लिए युवाओं को एक बड़ा संदेश दिया है। उनका कहना है कि उनकी सरकार ने पिछले आठ सालों में स्पेस और डिफेंस सेक्टर को युवाओं के लिए खोल दिया है। रिफॉर्म का रास्ता ही हमें नए लक्ष्यों की ओर ले जा सकता है। ड्रोन से लेकर हर दूसरी टेक्नोलॉजी में हम युवाओं को काम करने का मौका दे रहे हैं। आज हम युवाओं से कह रहे हैं कि सरकार ने जो वर्ल्ड क्लास टेक्नोलॉजी बनाई है, वहां युवा अपने आइडिया दें। अपने इनपुट दें। पीएम मोदी ने इस बात पर भी जोर दिया कि उपक्रम चाहे सरकारी हो या फिर प्राइवेट, दोनों देश के ऐसेट हैं, इसलिए लेवल प्लेइंग फील्ड सबको बराबर मिलना चाहिए। मोदी ने इस बात पर भी खुशी भी जाहिर की कि पिछले 8 साल में 100 से अधिक बिलियन डॉलर कंपनियां खड़ी हुई हैं, जिसमें हर महीने नई कंपनियां जुड़ रही हैं। उनके मुताबिक स्टार्ट अप की दुनिया में भारत तेजी से काम कर रहा है और अब तक हजारों करोड़ का कारोबार कर चुका है। अंततः सरकार को चाहिए कि इस योजना को लेकर देश के युवाओं में जो गलतफहमी है, उसे दूर किया जाए। जब तक दोनों पक्ष के बीच गलतफहमी बनी रहेगी,तब तक समस्या का समाधान नहीं होगा। युवाओं को भी सोचना चाहिए कि हिंसक आंदोलन कर अपनी किसी भी मांग को मनवाया नहीं जा सकता। ऐसे में उन्हें अपनी मांग को मनवाने के लिए अहिंसक आंदोलन करना चाहिए,इसके लिए कृषि आंदोलन को एक उदाहरण माना जा सकता है। कृषकों ने लंबी अहिंसक लड़ाई लड़ी और सरकार को उनकी मांग मानने को बाध्य होना पड़ा। वैसे भी गांधी के इस देश में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है।
सार्थक पथ की जरूरत
