केंद्र सरकार की ओर से सशस्त्र बलों के लिए लांच की गई अग्निपथ योजना के खिलाफ देश के कई भागों में विरोध प्रदर्शन का सिलसिला जारी है। बिहार, यूपी और हरियाणा सहित देश के कई भागों से हिंसक आंदोलन की खबरें हैं। बिहार के 17 जिलों में युवा सड़क औपिपिर ट्रैक पर उतर गए। उन्होंने छपरा, कैमूर और गोपालगंज में 5 ट्रेनों को आग के हवाले कर दिया। 12 ट्रेनों में तोड़-फोड़ की गई। ऐसा पहली बार हुआ कि देश के युवाओं की ओर से किसी रोजगार योजना का इतने बड़े पैमाने पर विरोध किया जा रहा है। युवाओं का कहना है कि यदि सरकार वैकेंसी निकाल रही है, यह स्वागत योग्य है, परंतु सेना में महज चार साल के लिए बहाली सही नहीं है। इस पर केंद्र का कहना है कि अग्निपथ योजना के तहत भारतीय युवाओं को बतौर अग्निवीर आर्म्ड फोर्सेस में सेवा का अवसर प्रदान किया जाएगा। यह योजना देश की सुरक्षा को मजबूत करने एवं हमारे युवाओं को मिलिट्री सर्विस का अवसर देने के लिए लाई गई है। योजना के बारे में पूरी जानकारी हासिल किए बिना ही कई स्थानों पर इसका विरोध किया जा रहा है। ऐसे में इस योजना की यथास्थिति और इससे जुड़ने के बाद भविष्य में मिलने वाली सुविधा और छूट के बारे में जानने की जरूरत है। इसके तहत नौकरी खत्म होने के बाद जो उद्यमी बनना चाहते हैं उनके लिए वित्तीय पैकेज और बैंक से कर्ज की योजना है, जो आगे पढ़ना चाहते हैं उन्हें 12 कक्षा के बराबर सर्टिफिकेट दिया जाएगा और आगे की पढ़ाई के लिए ब्रिजिंग कोर्स होगा, जो नौकरी करना चाहते हैं उन्हें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों तथा राज्य पुलिस में भर्ती में प्राथमिकता दी जाएगी। अन्य क्षेत्रों में भी उनके नौकरियों के कई अवसर खोले जा रहे हैं। दूसरी ओर इसके उलट युवाओं के लिए सेना में नौकरी के अवसरों में वृद्धि होगी। आने वाले वर्षों में सेना में अग्निवीरों की भर्ती मौजूदा स्तर के तीन गुना हो जाएगी। वहीं रेजीमेंट व्यवस्था में कोई भी परिवर्तन नहीं किया जा रहा है, बल्कि यह और मजबूत होगा, क्योंकि सबसे उत्कृष्ट अग्निवीरों का चयन होगा और इससे यूनिट के अंदरूनी तालमेल को और मजबूती मिलेगी। यह जानना जरूरी है कि अधिकांश देशों में इस तरह की संक्षिप्त सेवाओं की व्यवस्था है यानी इसका पहले ही परीक्षण हो चुका है और युवा तथा तेज-तर्रार सेना के लिए सबसे अच्छी व्यवस्था मानी जाती है। पहले वर्ष भर्ती अग्निवीरों की संख्या आर्म्ड फोर्सेज की केवल 3 प्रतिशत होगी। इसके अलावा चार साल बाद सेना में दोबारा भर्ती से पहले अग्निवीरों के प्रदर्शन की जांच की जाएगी। इस तरह सेना को सुपरवाइजरी रैंक के लिए जांचे और परखे लोग मिलेंगे। दुनिया भर में सेनाएं युवाओं पर निर्भर हैं। मौजूदा योजना दीर्घ काल में युवाओं तथा अनुभवियों के 50-50 प्रतिशत का मिश्रण लाएगी। इसलिए इसके खिलाफ प्रदर्शन भारतीय सेना के मूल्यों तथा आदर्शों का अपमान है। चार साल वर्दी पहनने वाले युवा जिंदगी भर देश के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे। आज भी सेना से रिटायर हुए हजारों लोग हैं जिनके पास तमाम कुशलताएं हैं, लेकिन वे देशविरोधी ताकतों से नहीं जुड़े। पिछले दो वर्षों से पूर्व सैन्य अधिकारियों के साथ विस्तार से चर्चा की गई। यह प्रस्ताव मिलिट्री ऑफिसर विभाग में मिलिट्री ऑफिसरों की ओर से तैयार किया गया। यह विभाग सरकार ने ही गठित किया है, कई पूर्व सैन्य अधिकारियों ने इस योजना को स्वीकार किया है तथा सराहा है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि किसी भी सरकारी योजना और उसके उद्देश्य को सर्वप्रथम जानने की जरूरत है, उसके बाद ही आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना चाहिए। दूसरी ओर हमें कतई नहीं भूलना चाहिए कि वर्तमान समय में पूरी दुनिया में आर्थिक संकट है। इस बीच यदि सरकार कोई लाभकारी योजना ला रही है तो आम लोगों को भी परिस्थितिवश सरकार की ओर से लिए गए फैसले का साथ देना चाहिए। कारण कि कभी-कभार सरकार के सामने ज्यादा विकल्प शेष नहीं होते हैं।