अब तक कहा जाता था कि कैंसर एक लाइलाज बीमारी है,परंतु बहुत ही जल्द यह बीमारी लाइलाज की श्रेणी से बाहर होने वाली है। पिछले दिनों यह खबर आई कि इस बीमारी की दवा खोज ली गई है, इसका परीक्षण सफल रहा है। ऐसे में संभव है कि इसकी दवा देर- सबेर बाजार में उपलब्ध होगी और दुखी मानवता को राहत मिलेगी। साथ ही कैंसर रोगी भी जीने की उम्मीद में इलाज करवा सकेंगे। कहा जा रहा है कि न्यूयॉर्क के मेमोरियल सलोन केटरिंग (एमएसके) कैंसर सेंटर की एक क्लिनिकल ट्रायल में शामिल हुए गुदा कैंसर के मरीजों का कैंसर पूरी तरह ठीक हो गया। इन मरीजों को एक प्रायोगिक दवा डोस्टरलाइमैब दी गई थी। यह अध्ययन न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुआ था। प्रकाशित अध्ययन में गुदा कैंसर से पीडि़त रहे 12 मरीजों का ब्यौरा दिया गया है। अध्ययन के मुताबिक मरीजों को हर तीन हफ्ते पर डोस्टरलाइमैब दी गई। यह प्रयोग छह महीने तक चला। प्रयोग के दौरान डॉक्टर यह मानकर चल रहे थे कि मरीजों को इसके बाद कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और सर्जरी आदि जैसे पारंपरिक इलाज कराने होंगे, लेकिन छह महीने बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रयोग में शामिल सभी मरीजों का कैंसर ठीक हो गया। ऐसा पहली बार है जबकि किसी परीक्षण में सभी कैंसर के मरीजों को सकारात्मक नतीजे मिले हैं। इसलिए वैज्ञानिकों के बीच इस दवा को लेकर खासा उत्साह है और वे इसे दिशा बदलने वाला प्रयोग मान रहे हैं। कहा जा रहा है कि अब तक किसी और ऐसे अध्ययन की जानकारी नहीं है जिसमें हर मरीज का कैंसर ठीक हो गया हो। कैंसर के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है। यह प्रयोग इम्यूनोथेरेपी पर आधारित था। इम्यूनोथेरेपी में ऐसी दवाएं दी जाती हैं जिनका काम शरीर की रोगों से लडऩे वाली क्षमता को बढ़ाना होता है ताकि शरीर इतना ताकतवर हो जाए कि कैंसर को ठीक कर सके। प्रयोग में गुदा के कैंसर से पीडि़त ऐसे मरीजों को शामिल किया गया था जिनमें एक खास तरह का कैंसर म्यूटेशन था। ऐसे गुदा कैंसर को मिसमैच रिपेयर डेफिशिएंट रेक्टल कैंसर कहा जाता है। इस तरह के कैंसर में कीमोथेरेपी का ज्यादा असर नहीं होता है। परीक्षण के दौरान शोधकर्ता देखना चाहते थे कि क्या सिर्फ इम्यूनोथेरेपी से ऐसे कैंसर को ठीक किया जा सकता है, जो अन्य ऊतकों और अंगों में ना फैला हो। अध्ययन कहता है कि प्रयोग अभी चल रहा है लेकिन जिन 14 मरीजों को दवा दी गई, उन सभी का ट्यूमर खत्म हो गया और किसी पर भी कोई विशेष दुष्प्रभाव नहीं देखा गया। शोधकर्ताओं ने कहा कि किसी भी मरीज को रेडिएशन,सर्जरी या कीमोथेरेपी आदि की जरूरत नहीं है और दो साल से ये मरीज बिल्कुल ठीक हैं। किसी भी मरीज का कैंसर लौटा नहीं है। मरीजों के लिए यह खुशी भरा समाचार है। वास्तव में यदि हमारे चिकित्सा वैज्ञानिक कैंसर पर निजात पाने में सफल हो जाते हैं तो यह उनकी बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। हमारे चिकित्सा वैज्ञानिक इस बीमारी से निजात पाने के लिए काफी समय से शोध कर रहे थे। यदि कुछ कामयाबी मिली है तो यह दशकों की मेहनत, शोध, खोज और रिसर्च का नमूना है। उल्लेखनीय है कि कभी टीबी, बड़ी चेचक और अन्य कई बीमारियां लाइलाज मानी जाती थी,परंतु चिकित्सा वैज्ञानिक उसकी खोज में लगे रहे और उन्हें सफलता मिली,इसी तरह कैंसर उन्मूलन के लिए भी लगातार प्रयास पूरी दुनिया में जारी हैं। उम्मीद है कि आने वाले समय में कैंसर मरीजों की मौत पर विराम लगेगा। लोग असमय ही काल के गाल में समाने से बच पाएंगे, परंतु इस क्षेत्र में शोध और अनुसंधान और तेजी से लगातार करने की जरूरत है ताकि इस बीमारी को चेचक की तरह जड़-मूल से समाप्त किया जा सके। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि पूरी दुनिया के लिए एक राहत भरी खबर आई है और यह पूरी तरह कारगर साबित हो, यहीं हमारी दुआ है।
दवा की खोज
