रामविलास जांगिड़
संसार में ऐसे लोग हर किसी से अपनी प्रशंसा करवाने के लिए हाथ-पैर जोड़ते हैं। सरेआम गिड़गिड़ाते हैं। वेबीनार पर मुझे देखना नहीं भूलिएगा, कहकर वरिष्ठ चमचे सीना जोरी कर रहे हैं। फिर प्रशंसा पाकर ऐसे गर्वित होते हैं मानो सच में अनायास ही उनकी प्रशंसा हो रही हो। प्रशंसा में पगला रहे हैं। वैसे मैं भी इस मामले में कमजोर नहीं हूं। मैं भी प्रशंसा से फूलकर इतना कुप्पा हो जाता हूं कि मेरा शरीर कमरे से बाहर निकल कर सड़क पर आ पसरता है। फिर कोई चमचा प्रशंसा करता है तो मेरा शरीर सड़क से उठकर संसद में जा सरसता है। कई चमचे तो चापलूसी खुशामदी के मामले में अपना जौहर दिखाते हैं। यह उनकी अतिरिक्त विशेषता है। चमचों की निंदा करना मेरे बस का रोग नहीं है। खाने-खिलाने से लेकर रूठने-मनाने तक में चमचा महान बनकर सामने आया है। बगैर चमचे के खा कर देखो? आधा नीचे गिरेगा और आधा चोर की दाढ़ी में तिनके सा मुंह पर लिपटे रहेगा। चमचा ही ऐसी चीज है जिसे भगोनी, कटोरी, कड़ाही आदि में आहिस्ता से डाला जाता है और आहिस्ता से मुंह का निवाला बनाया जाता है। खाने में कितनी सुविधा है! मक्खन लगाने में कितनी मदद देते हैं चमचे! अगर किसी को खिलाना भी हो तो हाथ झूठे करने की नौबत ही नहीं आती। आहिस्ता से चमचे की सहायता से किसी को भी कभी भी खिलाया जा सकता है। चमचों के चिंतन-मंथन पर कई ऋषि-मुनियों का तप भंग हो गया है। चमचावाद, चमचापुराण, चमचोपनिषद आदि में वर्णित चमचाख्यान के बाद जब मैंने रसोई घर में खड़े होकर चमचे की चमचात्मक प्रक्रिया देखी तो चमत्कृत हो गया। चमचा पसरा पड़ा है, रसोई से लेकर फेसबुकोई उर्फ फेसबकोई तक! नाना रंग-रूप आकार में! यदि चमचा नहीं होता तो इसके बगैर जीवन कितना बंधकारी हो जाता इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। राजनीति, अर्थशास्त्र, बॉलीवुड, जॉलीवुड, साहित्यबाजी से लेकर रातों-रात महान लेखक बनने की कुलकुला हट करने वालों के लिए चमचा अपना दायित्व पूर्ण करता आया है। वैसे दुनिया में कुल मिलाकर दो ही तरह के लोग रह रहे हैं। या तो वे चमचा हो गए हैं या फिर वे चमचा होने की फिराक में जुगाड़ लगा रहे हैं। अपनी प्रशंसा करवाने के लिए दूसरों की प्रशंसा करने का कीड़ा चमचा बनने की पहली सीढ़ी है। कई हैं जो रातों रात महान लेखक, नेता, कवि, एक्टर आदि बनने-कहाने का ख्वाब रखते हैं। देश दुनिया में मुझे ऐसा कोई व्यक्तिनहीं मिला है जो चमचा होना नहीं चाहता है। मैं स्वयं भी अच्छे किस्म का चमचा बनने की कोशिश कर रहा हूं। प्रशंसा करना, चिरौरी करना, जी हजूरी करना, हाथ-पांव जोड़ना, रीढ़ को गायब कर देना जैसे गुणों को अपनी आत्मा में प्रविष्ट कराने के लिए दान-पुण्य कर रहा हूं। नेताओं की टांग खिंचाई वाली इस पवित्र घड़ी में फेसबुक की दुनिया में ऐसे कई चमचे खनखना रहे हैं। तू मेरी प्रशंसा कर मैं तेरी प्रशंसा के गीत गाऊंगा। बहुत शानदार मक्खन बाजी के साथ चमचागिरी निभाऊंगा। चमचों की प्रशंसा पाकर देवी-देवता खुद वर देने के लिए कुलकुलाते हैं। देखें इस नाचीज चमचे का चमत्कार! पहले इस्तेमाल करें फिर विश्वास करें। मुझे इस्तेमाल करेंगे तो पक्का है कि आप मुझे प्रधान चमचा बनाकर ही रखेंगे। एकदम मस्त वाला टिकाऊ चमचा तुरंत बिकाऊ है!
अजमेर ,मो 94136 01939