होली का पावन पर्व फाल्गुन शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन हर्ष, उमंग व उल्लास के साथ मनाने की परम्परा है। प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन ने बताया कि इस बार पूर्णिमा तिथि 27 मार्च, शनिवार को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 3 बजकर 27 मिनट पर लगेगी, जो कि 28 मार्च, रविवार को अर्द्धरात्रि 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगी। स्नान-दान-व्रतादि की फाल्गुनी पूर्णिमा 28 मार्च, रविवार को रहेगी। पूर्णिमा तिथि की रात्रि में होलिकादहन करने का विधान है। 21 मार्च, रविवार से प्रारम्भ होलाष्टक 28 मार्च, रविवार को समाप्त हो जाएगा। इस दिन रंगोत्सव का रंगारंग पर्व एवं धुरड्डी विधि-विधानपूर्वक मनाया जाएगा। इसी दिन एक-दूसरे को लोग अबीर-गुलाल भी लगाएंगे। काशी में चौसट्टी घाट पर विराजमान चौसट्टी देवी का दर्शन करने की विशेष महिमा है। चैत्र कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि 28 मार्च, रविवार को अर्द्धरात्रि 12 बजकर 18 मिनट से प्रारम्भ हो जाएगी जो कि 29 मार्च, सोमवार को रात्रि 8 बजकर 55 मिनट तक रहेगी।
होलिका पूजन का विधान— प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन ने बताया कि पूर्व स्थापित की गई होलिका की विधि-विधानपूर्वक पूजन की जाती है। होलिका पूजन में रोली, अक्षत, पुष्प, साबूत हल्दी गांठ, नारियल, बतासा, कच्चा सूत, गोबर के उपले एवं पूजन की अन्य सामग्री रहती है। होलिकादहन के समय होलिका की परिक्रमा करने का विधान है। होलिका की भस्म अत्यन्त ही चमत्कारिक मानी गई है। ऐसी मान्यता है कि होलिकादहन के पश्चात् होलिका की भस्म मस्तक पर लगाने से आरोग्य लाभ के साथ सुख-समृद्धि व खुशहाली मिलती है। फाल्गुन शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि को ही श्री चैतन्य महाप्रभु की जयन्ती भी मनाई जाती है।
ज्योतिषविद् श्री विमल जैन
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