कभी कोई आपको सीटी बजाकर बुलाए, तो आप उसके साथ कैसा व्यवहार करेंगे? या आपने कभी किसी लड़कियों को सीटी बजाकर बुलाया हो तो आपसे उसे या तो जोरदार थप्पड़ मिल जाएगा या फिर आपको बदतमीज कह दिया जाएगा, लेकिन क्या आप भारत के ऐसे गांव के बारे में जानते हैं। जहां की लड़कियां भी सिटी बजाकर ही लड़कों को बुलाती है। इस गांव की हर एक लड़की सिटीबाज हैं। आज हम आपको भारत के ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां के लोग एक-दूसरे को नाम से नहीं बल्कि सीटी बजाकर बुलाते हैं। वो भी सिटी बजाने का कोई एक तरीका नहीं होता बल्कि अलग-अलग लोगों को अलग-अलग स्टाइल से सीटी बजाकर बुलाया जाता है। ये गांव भारत के मेघालय के पूर्वी जिले खासी हिल में कांगथांन गांव है, जिसे ‘व्हिसलिंग विलेज’ के नाम से भी जाना जाता है। गांव में खासी ट्राइब्स के लोग रहते हैं। कांगथांन गांव के हर एक लोगों का 2 नाम होता है। पहला कोई शाब्दिक नाम होता है जो हमारे और आपकी तरह होता है और दूसरा व्हिसलिंग ट्यून नेम होता है। गांव के लोग नॉर्मल नाम से बुलाने की बजाय व्हिसलिंग ट्यून नेम से ही बुलाते हैं। इसके लिए हर शख्स के लिए व्हिसलिंग ट्यून अलग-अलग होती है और यही अलग तरीका उनके नाम और पहचान का काम करती है। गांव में जब बच्चा पैदा होता है तो यह धुन उसको उसकी मां देती है फिर बच्चा धीरे-धीरे अपनी धुन पहचानने लगता है। इस गांव में 109 परिवार के 627 लोग रहते हैं, जिनकी अपनी अलग-अलग ट्यून होती है। यानी गांव में कुल 627 ट्यून है। गांव के लोग यह ट्यून नेचर से बनाते हैं खासकर चिड़ियों की आवाज से नई ट्यून बनाते हैं। कांनथांन गांव चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा है। इसलिए गांव के लोग कोई भी ट्यून निकालते हैं तो वो कम समय में दूर तक पहुंचती है। यानी गांव के लोगों का बातचीत का यह तरीका भी वैज्ञानिक रूप से सही है। वक्त बदलने के साथ-साथ यहां के लोग भी बदलने लगे हैं। अब यह लोग अपने ट्यून नेम को मोबाइल पर रिकॉर्ड कर उसे रिंगटोन भी बना लेते हैं।