मोहाली स्थित पंजाब पुलिस के इंटेलिजेंस विंग के मुख्यालय  पर हुए आतंकी हमले में सरकार की चिंता बढ़ा दी है। संदिग्ध आतंकियों ने दूर से ही हमला कर मुख्यालय को उड़ाने का प्रयास किया। संयोग से फेंका गया विस्फोटक खिडक़ी के बजाय दीवार से टकराया गया। सुरक्षा बलों का कहना है कि इस हमले में टीएनटी विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया। इस सिलसिले में एक संदिग्ध की गिरफ्तारी की गई है। मालूम हो कि उस भवन में ऑर्गेनाइज्ड क्राइम कंट्रोल यूनिट एवं एंटी गैंगस्टर टॉस्क फोर्स का भी कार्यालय था। पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) के सत्ता में लौटने के बाद सिख जस्टिस फोरम तथा अन्य खालिस्तान समर्थक तत्व फिर से सक्रिय होने लगे हैं। ऐसा आरोप है कि पिछले विधानसभा चुनाव में खालिस्तान समर्थक तत्वों की गतिविधयां देखी गई। इससे पहले दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के दौरान कई खालिस्तान समर्थक नेताओं की सक्रियता देखी गई। किसान आंदोलन के नाम पर खालिस्तानी पंजाब में अपनी पैठ बनाने में जुट गए थे। पाकिस्तानी सेना एवं गुप्तचर एजेंसी आईएसआई भारत को अस्थिर करने के लिए खालिस्तान समर्थक आतंकियों को संगठित करने में जुट गई। पाकिस्तान का आका चीन भी इस काम में मदद कर रहा है। इन लोगों का मानना है कि अभी भारत में अजान बनाम हनुमान चालीसा को लेकर सांप्रदायिक तनाव है। देश के कई हिस्सों में इसको लेकर छिटपूट हिंसात्मक घटनाएं भी हुई हैं। ऐसी स्थिति में राष्ट्र विरोधी शक्तियां मौके का पूरा फायदा उठाना चाहती हैं। जम्मू-कश्मीर में भी पाक सर्मथित संगठन अब अपनी गतिविधियां बढ़ाने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं। 12 मई को ही जम्मू-कश्मीर के बडग़ाम स्थित तहसीलदार कार्यालय में कार्यरत कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। इससे पहले पिछले सात मई को गुलाम हसन नामक पुलिसकर्मी की उस वक्त हत्या कर दी गई जब वे बाइक से कहीं जा रहे थे। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370  धारा हटने के बाद शांति लौटी है। इसका प्रमाण यह है कि संयुक्त अरब अमीरात में जम्मू-कश्मीर में भारी निवेश करने की पहल शुरू की है। इस सिलसिले में वहां का एक प्रतिनिधिमंडल जम्मू-कश्मीर का दौरा भी किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर में शांति लाने तथा विकास की गति तेज करने के लिए काफी प्रयत्नशील हैं। सरकार ने जम्मू-कश्मीर में कई योजनाएं भी शुरू की है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने तथा विकास की गति बनाए रखने के लिए भरसक कोशिश कर रहा है। कुछ विदेशी शक्तियांं भारत के विकास में बाधा डालने के लिए साजिश रच रही हैं। चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी नहीं चाहते हैं कि भारत का तेजी से विकास हो। ये दोनों देश भारत में गड़बड़ी फैलाने के लिए षड्यंत्र रचते रहते हैं। पंजाब फिलहाल आतंकवाद से मुक्त है किंतु विदेशी शक्तियां अब फिर से सक्रिय होने लगी हैं। नरेंद्र मोदी सरकार के लिए यह निश्चित रूप से चिंता का विषय है। खालिस्तानियों के तार पाकिस्तान के साथ-साथ कनाडा से भी जुड़े हुए हैं। कनाडा से इन आतंकी संगठनों को वित्तीय सहायता मिलती है। भारत सरकार को इस मामले को कनाडा के समक्ष उठाना चाहिए ताकि आतंकी गतिविधियों पर कुछ हद तक अंकुश लगाया जा सके। पंजाब में राजनीतिक हितों को छोडक़र ऐसे आतंकी संगठनों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है।