पाकिस्तान में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सी-पैक) परियोजना के तहत कार्यरत चीन की 30 में 25 कंपनियों ने 300 अरब डॉलर के भुगतान की मांग की है। इन कंपनियों ने कहा है कि अगर पाकिस्तान की सरकार जल्द भुगतान नहीं किया तो वे लोग काम बंद कर देंगे। पाकिस्तान के योजना एवं विकास मंत्री अहसान इकबाल की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी, जिसमें ऊर्जा, संचार, रेलवे सहित विभिन्न कामों में लगे चीन की 30 कंपनियों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। यह सबको मालूम है कि पाकिस्तान श्रीलंका की तरह आथिकि दिवालियेपन के कगार है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लगातार भिक्षाटन दौरे पर हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की तरह शाहबाज शरीफ भी सऊदी अरब, चीन एवं अमरीका से आर्थिक मदद की गुहार लगा रहे हैं। वहां की आर्थिक स्थिति दिन-प्रतिदिन बद से बदतर होती जा रही है। इसी बीच बलूचिस्तान एवं सिंध प्रांत में तहरीक-ए-तालिबान एवं बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने पाक की सेना को नाक में दम कर रखा है। लगातार आतंकी हमले से पाकिस्तान सेना दबाव में है। हाल ही में कराची में हुए आत्मघाती हमले में चीन के तीन नागरिक मारे गए थे। उसके बाद ही चीन और पाकिस्तान के संबंधों में खटास आ गई है। लेकिन वर्तनाम परिस्थिति में पाकिस्तान के पास चीन की गोद में बैठने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। यह कहानी केवल पाकिस्तान के साथ ही नहीं है। भारत के जिन पड़ोसियों ने ड्रैगन पर विश्वास कर अंधाधुंध कर्ज लिया, उन सबकी हालत भी खराब है। श्रीलंका का उदाहरण सबके सामने है। वहां गृहयुद्ध जैसी स्थिति पैदा हो गई है। आंदोलनकारियों ने श्रीलंका के 12 मंत्रियों के घर जला दिए हैं, जबकि एक सांसद की मौत हो गई है। श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे इस्तीफा देकर श्रीलंका की नौसेना के बेस में छिपे हुए हैं। श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार वर्ष 2018 में 7.5 अरब डॉलर था, जो अब घटकर 3.7 डॉलर रह गया है। श्रीलंका में महंगाई 17 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है, जबकि वहां की मुद्रा का 46 प्रतिशत तक अवमूल्यन हो चुका है। यही स्थिति पाकिस्तान में भी है। वहां भी महंगाई उच्च स्तर पर है एवं विदेशी मुद्रा भंडार खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। पाकिस्तान और श्रीलंका के बाद नेपाल भी उसी रास्ते पर बढ़ रहा है। अगर तत्काल ठोस कदम नहीं उठाया गया तो नेपाल में भी स्थिति खराब हो सकती है। अब नेपाल को भी समझ में आ रहा है कि चीन से दोस्ती कितनी महंगी पड़ रही है। तीन पड़ोसी देशों की हालत के लिए मुख्य रूप से चीन का कर्जजाल जिम्मेवार है। चीन ने बड़े-बड़े सपने दिखाकर इन देशों के संसाधनों पर कब्जा किया। पाकिस्तान को आत्ममंथन करने की जरूरत है। वर्तमान परिस्थिति से भारत को हमेशा सतर्क रहना होगा, क्योंकि पाकिस्तान कभी भी भारत का हितैषीनहीं हो सकता।
पाकिस्तान को झटका
