पाक के नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत से बेहतर रिश्तों की हिमायत की है, लेकिन साथ ही उन्होंने संसद में दिए अपने पहले भाषण में कश्मीर का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि हम भारत के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं, लेकिन कश्मीर मुद्दे के हल के बिना इसे हासिल नहीं किया जा सकता। नए प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद भारत के पीएम मोदी ने भी शहबाज शरीफ को बधाई देते हुए ट्वीट किया और आतंकवाद पर नसीहत भी दी। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि मोहम्मद शहबाज शरीफ को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में चुने जाने पर बधाई। भारत क्षेत्र में शांति और स्थिरता चाहता है जो आतंकवाद से मुक्त हो,ऐसा होने पर हम विकास रूपी चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे और अपने लोगों की भलाई और समृद्धि को सुनिश्चित कर सकेंगे। मोदी ने अपने बधाई संदेश में आतंकवाद का मुद्दा भी उठाया है जो कि भारत की तरफ से एक अहम सियासी संदेश माना जा रहा है। मोदी ने ट्वीट में स्पष्ट कर दिया है कि क्षेत्र में शांति और स्थिरता तभी संभव है जब आतंकवाद पर काबू पाया जाएगा। भारत लगातार कश्मीर घाटी में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का आरोप लगाता आया है। उल्लेखनीय है कि भारत के 2024 के लोकसभा चुनाव में फिर से पाकिस्तान का मुद्दा जोर-शोर से जरूर उछाला जाएगा। दूसरी ओर पाक की पूरी राजनीति कश्मीर पर टिकी हुई है। ऐसे में शहबाज इसको नजरअंदाज करना नहीं चाहेंगे। एकाध बार ऐसी कोशिश हुई तो वहां काफी रोष पैदा हुआ और उसकी आलोचना की गई। 2019 में भारत ने कश्मीर को लेकर जो कदम उठाए उससे दुनिया को संदेश दे दिया गया कि यह मुद्दा विवादित नहीं और इस पर कोई चर्चा मुमकिन नहीं है। सच तो यह है कि इस्लामाबाद में जो नई सरकार आई है उसके पास इस वक्त रिश्तों में सुधार लाने के लिए बहुत ज्यादा विकल्प नहीं हैं। यह जरूर है कि नवाज शरीफ ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहते हुए कुछ सकारात्मक घोषणाएं की थीं,जिसके कारण एक सकारात्मक माहौल बना था। नवाज मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे। अब उन्हीं के भाई शहबाज प्रधानमंत्री बने हैं, वे एक पुराने खिलाड़ी हैं। एक छोटी-सी कोशिश हो सकती है कि कम से कम बैक चैनल वार्ता को गति और प्राथमिकता दी जाए। विश्वास बहाली के लिए कुछ और मुद्दे जैसे नदी और कारोबार से जुड़े मसलों पर बातचीत आगे बढ़ाई जाए क्योंकि इस वक्त पाकिस्तान में नई सरकार है और सेना वहां की ताजा राजनीतिक स्थिति में अपने आपको न्यूट्रल दिखाने की कोशिश कर रही है। जब से भारत में मोदी की सरकार बनी है बातचीत को कमजोरी का सबूत माना जाता है। ऐसे में आने वाले दिनों में रिश्तों में कोई खास बदलाव आएगा, इसकी कल्पना भी सही नहीं है। भाजपा को उत्तर प्रदेश चुनाव में भारी जीत मिली है और पार्टी नए तेवर में है। याद रहे कि जब केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी और वह जब पाकिस्तान से वार्ता करती थी, तो बीजेपी केंद्र सरकार का माखौल उड़ाती थी,वहीं शरीफ एक बिजनेस परिवार से आते हैं और उन्हें यह पता है कि भारत से रिश्ते बेहतर हुए तो वहां कि अर्थव्यवस्था को भी फायदा हो सकता है। शरीफ चाहेंगे कि जल्द दोनों देशों के बीच रिश्ते पटरी पर आएं और दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़े। शरीफ परिवार हमेशा से भारत के साथ बेहतर संबंधों का हिमायती रहा है।  शहबाज की आखिरी भारत यात्रा दिसंबर 2013 में हुई थी जब उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा से मुलाकात की थी तब पत्रकारों से बातचीत करते हुए शहबाज शरीफ ने कहा था कि युद्ध कोई विकल्प नहीं है और उन्होंने सरक्रीक, सियाचिन, पानी और कश्मीर समेत सभी मुद्दों पर शांतिपूर्ण बातचीत की बहाली के लिए जोर दिया था।