भारत में पहली बार राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए), भारत क्षेत्र के आठवें सम्मेलन का आयोजन किया गया। सौभाग्य की बात यह है कि सीपीए के आतिथ्य का दायित्व असम की राजधानी गुवाहाटी को मिला था। इस सम्मेलन में राष्ट्रमंडल देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला इस सम्मेलन के लिए कुछ दिनों तक गुवाहाटी में ही डेरा डाले हुए थे। सम्मेलन के समापन के बाद बिड़ला ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष के उपलक्ष्य में सभी विधान मंडलों द्वारा युवा केंद्रित नीतियों को अपनाने तथा राष्ट्रीय विकास एवं लोकहित के लिए युवाओं की क्षमता का अधिकतम उपयोग करने का प्रस्ताव पारित किया गया। इस प्रस्ताव के अनुसार सभी विधान मंडल अपने-अपने राज्य सरकारों, स्वायत्तशासी संस्थाओं एवं अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर राज्य के विद्यालयों, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में युवा केंद्रित कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे। बिड़ला ने देश के सांसदों एवं विधानसभा के सदस्यों को नसीहत देते हुए कहा कि सदन में होने वाली चर्चा के दौरान गरिमा एवं मर्यादा को बनाए रखना बेहद जरूरी है। मुद्दों पर असहमति होने के बावजूद मर्यादा को नहीं भूलना चाहिए। कई मौके पर संसद या विधानसभाओं में ऐसा देखा गया है कि सदस्य अपने राजनीतिक हितों के लिए बहस के दौरान सारी मर्यादाओं को पार कर देते हैं। कई मौके पर तो हाथापाई की नौबत तक आ जाती है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। यही कारण है कि दुनिया भारत के लोकतंत्र का लोहा मानती है। सदस्यों के इस तरह के व्यवहार से लोकतंत्र की गरिमा को ठेस पहुंचती है। पिछले कुछ वर्षों से भारत में आपराधिक तत्वों के संसद एवं विधानसभाओं में पहुंचने से लोकतंत्र का स्तर गिरता जा रहा है। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर राजनीतिक पार्टियों को आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है। उनको टिकट के बंटवारे के वक्त ऐसे व्यक्ति को टिकट नहीं देना चाहिए जिनकी छवि दागदार हो। लोकसभा अध्यक्ष ने दल-बदल कानून के बारे में कहा कि इस पर अगली बैठक में पीठासीन अधिकारी विचार-विमर्श करेंगे। राष्ट्रमंडल के कार्यकारी अध्यक्ष लिडेल ग्रिंगर ने भारत के लोकतंत्र की प्रशंसा करते हुए सुझाव दिया है कि इसे अधिक जवाबदेह बनाने की जरूरत है। समापन समारोह में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने भी लोकतंत्र में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया। भारत में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ, भारत क्षेत्र के आठवें सम्मेलन के आयोजन से लोकतंत्र को नई मजबूती एवं नई दिशा मिलेगी। देश का युवा वर्ग हमारे लोकतंत्र की रीढ़ है। संसद एवं विधानसभा के प्रतिनिधियों को लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।