स्मार्टफोन और स्मार्ट डिवाइसेस हमारी लाइफस्टाइल का हिस्सा बन गए हैं। मसलन, न्यूज पेपर पढ़ना हो या फिर किसी पसंदीदा राइटर की किताब नई जनरेशन अपने स्मार्टफोन या फिर किसी स्मार्ट डिवाइस को यूज करती है। स्मार्टफोन या फिर किसी दूसरे डिजिटल डिवाइस पर पढ़ने को लेकर एक रिपोर्ट आई है, जो आपको हैरत में डाल सकती है। दरअसल, साइंटिफिक रिपोर्ट्स जनरल में पब्लिश एक आर्टिकल में कुछ ऐसा ही दावा किया गया है। रिपोर्ट की मानें तो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस पर पढ़ने से शब्दों की समझ घटती है। इतना ही नहीं शोध में पाया गया है कि स्मार्टफोन पर रीडिंग से प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स में ओवर एक्टिविटी होती है। यह बेहद चिंता में डालने वाली रिपोर्ट है। क्योंकि आज के वक्त में रीडिंग के मामले में ज्यादातर लोगों की निर्भरता स्क्रीन पर होती जा रही है।
खराब होती है शब्दों की समझ : किताबें पढ़नी हो या फिर न्यूज, लोग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की ओर बढ़ रहे हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को एक्सेस करने के लिए डिजिटल स्क्रीन की जरूरत होगी। इस मामले में पहले भी कई रिपोर्ट्स आ चुकी है, लेकिन इस बार की रिपोर्ट का फोकस शब्दों की खराब समझ पर है। पहले आई रिपोर्ट्स में स्मार्टफोन यूज करने की वजह से सिर दर्द और आंखों में होने वाली प्रॉब्लम्स की बात रही।
क्या कहती है रिसर्च?
इस मामले में ऑथर और उनकी टीम ने दो फैक्टर को एक्सप्रोर किया है। अपनी रिपोर्ट में रिसर्चर्स ने बताया है कि स्क्रीन पर रीडिंग से रेस्पिरेटरी सिस्टम और ब्रेन फंक्शन प्रभावित होते हैं और इसकी वजह से ही समझ पर असर पड़ता है। इस प्रॉसेस में सांस लेने के तरीके की भूमिका को भी नोट किया गया है। ज्यादा लंबी सांस लेने को सोशल कम्यूनिकेशन पर निगेटिव असर माना जाता है, लेकिन रिसर्च में पाया गया है कि ऐसा करने से बेहतर समझ विकसित होती है। इस शोध में जापान की यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया है। इसके लिए स्टूडेंट्स से पेपर और स्मार्टफोन दोनों पर टेक्स्ट पढ़ने के लिए कहा गया। इस दौरान उनके प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स की एक्टिविटी को मापा गया है। इसमें पाया गया है कि जो स्टूडेंट्स पेपर पर टेक्स्ट पढ़ते हैं बेहतर परफॉर्म करते हैं।