श्रीलंका और पाकिस्तान में आए आर्थिक संकट को देखते हुए नेपाल अभी से सतर्क हो गया है। श्रीलंका और पाकिस्तान चीन के कर्ज जाल में फंसकर आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं। अगर नेपाल नहीं सुधरा तो उसकी स्थिति भी वैसी ही होने वाली है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए नेपाल के प्रधानमंत्री शेरबहादुर देउबा भारत के साथ संबंध सुधारने की पहल शुरू कर दी है। देउबा अपने तीन दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे तथा उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ द्विपक्षीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। दो अप्रैल को दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक के दौरान रुपे कार्ड का शुभारंभ किया गया। अब नेपाल में भी रुपे कार्ड का प्रचलन होगा। इसके अलावा दोनों नेताओं ने भारत के जयनगर तथा नेपाल के कुर्था के बीच ट्रेन सेवा का शुभारंभ किया। भारत की मदद से रेलवे ट्रैक का निर्माण किया गया है। इसके अलावा नेपाल स्थित सोलू कोरिडोर पावर प्लांट मिशन एवं सब-स्टेशन का उद्घाटन किया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि नेपाल में रुप कार्ड के प्रचलन से अर्थ-व्यवस्था की कनेक्टिविटी में नया अध्याय जुड़ गया है। भारत नेपाल में ई-एकीकृत चेकपोस्ट तथा रामायण सर्किट पर भी काम कर रहा है। नेपाल अब अंतर्राष्ट्रीय सोलर एलायंस का सदस्य भी बन गया है। इससे नेपाल को टिकाऊ, स्वच्छ एवं किफायती ऊर्जा मिलेगी। भारत और नेपाल के बीच सदियों से दोस्ताना संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच बेटी-रोटी का संबंध है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से नेपाल में चीन की एंट्री के बाद स्थिति बदल गई थी। केपी शर्मा ओली के शासनकाल में भारत और नेपाल के बीच संबंध बदतर हो गए थे। सीमा को लेकर भी दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ गई थी। चीन के कर्ज जाल में फंसकर नेपाल ड्रैगन की कठपुतली बन गया था। लेकिन चीन जिस तरह से दूसरे देशों की तरह नेपाल की भूमि को हड़पने तथा अर्थ-व्यवस्था को अपनी मुट्ठी में करने का प्रयास शुरू किया उससे नेपाल की आंखें निश्चित रूप से खुली। कोरोना काल में चीन ने नेपाल को अपनी किस्मत पर छोड़ दिया। जनता की बगावत के बाद ओली सरकार को इस्तीफा देना पड़ा। अब नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व में नई सरकार का गठन हो चुका है। नेपाली कांग्रेस और भारत के बीच पहले से ही मधुर संबंध रहे हैं। भारत नेपाल के विकास में हरसंभव सहयोग करता रहा है। नेपाली प्रधानमंत्री ने वामपंथियों के चंगुल से निकलते हुए नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने की बात कही है। कुल मिलाकर नेपाल में फिर से भारत के प्रति विश्वास बढ़ने लगा है। नेपाल के लोगों को लग रहा है कि भारत ही संकट के समय उनकी सहायता कर सकता है। देउबा की वर्तमान यात्रा से दोनों देशों के संबंध और प्रगाढ़ हुए हैं। रेल संपर्क शुरू होने से दोनों देशों के बीच परस्पर आवागमन बढ़ेगा, जिससे व्यापार में भी वृद्धि होगी। नेपाल के नेतृत्व को यह समझना होगा कि उनका हित भारत के साथ है। चीन समर्थक तत्वों को अलग-थलग करना पड़ेगा। भारत हमेशा से अपने पड़ोसी देशों को दिल खोलकर मदद करता रहा है। श्रीलंका इसका जीता-जागता उदाहरण है।
भारत की ओर झुका नेपाल
